कैम्ब्रिज में भारतीय छात्र ने संस्कृत व्याकरण की 2500 साल पुरानी गुत्थी हल की

ऋषि अतुल राजपोपट कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में एशियाई और मध्य-पूर्वी अध्ययन संकाय में पीएचडी शोध छात्र हैं

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
ऋषि अतुल राजपोपट ने कथित तौर पर संस्कृत भाषा के विद्वान पाणिनी द्वारा लिखित एक पाठ को डिकोड किया है.

कैंब्रिज विश्वविद्यालय के एक भारतीय पीएचडी छात्र ने आखिरकार संस्कृत व्याकरण संबंधी एक गुत्थी को हल कर लिया है. यह ऐसी गुत्थी है जिसने 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से विद्वानों को परेशान कर रखा था. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार 27 वर्षीय ऋषि अतुल राजपोपट ने कथित तौर पर संस्कृत भाषा के विद्वान पाणिनी द्वारा लिखित एक पाठ को डिकोड किया. यह पाठ लगभग ढाई हजार साल पहले का है.

राजपोपट सेंट जॉन्स कॉलेज, कैम्ब्रिज में एशियाई और मध्य पूर्वी अध्ययन संकाय में पीएचडी शोध छात्र हैं.

इंडिपेंडेंट के अनुसार, पाणिनी ने एक "मेटारूल" सिखाया, जिसकी परंपरागत रूप से विद्वानों द्वारा अर्थ के रूप में व्याख्या की जाती है: "समान शक्ति के दो नियमों के बीच संघर्ष की स्थिति में, व्याकरण के क्रमिक क्रम में बाद में आने वाला नियम जीत जाता है." हालांकि यह अक्सर व्याकरण की दृष्टि से गलत परिणाम देता है.

मेटारूल की इस पारंपरिक व्याख्या को राजपोपट ने इस तर्क के साथ खारिज कर दिया था कि पाणिनी का मतलब क्रमशः एक शब्द के बाएं और दाएं पक्षों पर लागू होने वाले नियमों से था. पाणिनी चाहते थे कि हम दाएं पक्ष पर लागू होने वाले नियम का चयन करें. उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि पाणिनि की "भाषा मशीन" ने लगभग बिना किसी अपवाद के व्याकरणिक रूप से सही शब्दों का निर्माण किया.

उन्होंने इंडिपेंडेंट को बताया, "कैम्ब्रिज में मेरे पास एक यूरेका पल था... नौ महीने तक इस गुत्थी को हल करने की कोशिश के बाद मैं इसे करीब छोड़ देने की तैयारी में था. मुझे हल कहीं नहीं मिल रहा था. मैंने एक महीने के लिए किताबें बंद कर दीं और बस गर्मियों का आनंद लिया. तैराकी, साइकिल चलाना, खाना बनाना, प्रार्थना और ध्यान. फिर अनिच्छा से मैं काम पर वापस चला गया, और मिनटों के भीतर, जैसे ही मैंने पन्ने पलटे, ये पैटर्न उभरने लगे. और फिर यह सब समझ में आने लगा." पजल को हल करने में उन्हें और दो साल लग गए.

इस खबर से उत्साहित प्रोफेसर वेर्गियानी ने कहा, "मेरे छात्र ऋषि ने इसे हल कर लिया है. उन्होंने एक ऐसी समस्या का असाधारण रूप से सुरुचिपूर्ण समाधान ढूंढ लिया है जिसने सदियों से विद्वानों को भ्रमित कर रखा था. यह खोज ऐसे समय में संस्कृत के अध्ययन में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी जब इस भाषा में रुचि बढ़ रही है."

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने कहा कि भारत में एक अरब से अधिक की आबादी में से अनुमानित 25,000 लोग ही संस्कृत बोलते हैं.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bihar Election प्रचार- बढ़ी Lalu परिवार की दरार! Tejashwi Yadav Vs Tej Pratap Yadav | Bihar Politics
Topics mentioned in this article