इस सदी के अंत तक भूजल 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म हो जाएगा : स्टडी

दुनिया के पहले वैश्विक भूजल तापमान मॉडल ने मध्य रूस, उत्तरी चीन और उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों और दक्षिण अमेरिका में अमेजन वर्षावन में सबसे अधिक तापमान में वृद्धि होने की भविष्यवाणी की है.

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नई दिल्ली:

नई रिसर्च में पाया गया है कि इस सदी के अंत तक भूमिगत जल 2 से 3.5 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाएगा. इससे जल की गुणवत्ता और सुरक्षा को खतरा हो सकता है. इसके साथ ही संसाधन पर निर्भर इकोसिस्टम को भी खतरा हो सकता है. दुनिया के पहले वैश्विक भूजल तापमान मॉडल ने मध्य रूस, उत्तरी चीन और उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों और दक्षिण अमेरिका में अमेज़न वर्षावन में सबसे अधिक तापमान में वृद्धि की भविष्यवाणी की है.

जर्मनी के कार्ल्सरूहे इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के एक दल ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन पर ज्यादातर ध्यान मौसम की घटनाओं और जल की उपलब्धता पर केंद्रित है, लेकिन हमें यह भी सोचना होगा कि इसका भूजल पर क्या प्रभाव पड़ता है, जो ग्रह पर जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि भूजल के गर्म होने से उस पर निर्भर पारिस्थितिकी तंत्रों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.

ब्रिटेन के न्यूकैसल विश्वविद्यालय के सह-लेखक गेब्रियल राउ ने बताया कि, "नदियां शुष्क समय में बहने के लिए भूजल पर निर्भर रहती हैं. गर्म पानी में घुली हुई ऑक्सीजन कम होती है." 

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मॉडल ने यह भी अनुमान लगाया है कि 2100 तक वैश्विक स्तर पर 60-600 मिलियन लोग ऐसे क्षेत्रों में रह रहे होंगे, जहां भूजल किसी भी देश द्वारा निर्धारित पेयजल तापमान दिशा-निर्देशों के लिए उच्चतम सीमा से अधिक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में, 125 देशों में से केवल 18 देशों में ही पेयजल के लिए तापमान दिशा-निर्देश हैं. 

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राउ ने कहा कि गर्म भूजल रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों के विकास का खतरा बढ़ाता है, जिससे पेयजल की गुणवत्ता प्रभावित होती है और संभावित रूप से लोगों का जीवन भी प्रभावित होता है.

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