न विदेश में पढ़ाई, न कोई इंटरनेशनल ट्रिप! चीन में जिनपिंग ने किया सरकारी अफसरों का जीना मुहाल 

साधारण रिसर्च, आदान-प्रदान और अध्ययन के लिए विदेश में व्यावसायिक यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. और तो और ज्‍यादातर प्रांतों में तो विदेश में अध्ययन करने वालों को अब कुछ सरकारी पदों के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है.

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  • चीन ने सरकारी कर्मियों के विदेश जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है और तो और उन्‍हें पासपोर्ट भी जमा करना होगा.
  • विदेशी नागरिकों के साथ सरकारी कर्मियों के संपर्क पर कड़ा नियंत्रण लगाया गया है और बिना अनुमति यात्रा पर रोक.
  • यह पहल राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने, भ्रष्टाचार रोकने और लागत कटौती के उद्देश्य से शुरू की गई है.
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बीजिंग:

चीन को हमेशा से एक ऐसे देश के तौर पर जाना जाता है जहां पर सेंसरशिप को लेकर कड़े कानून हैं. यूं तो सेंसरशिप अक्‍सर कुछ खास चीजों पर ही लगती है लेकिन इस बार विदेश जाना ही सेंसर कर दिया गया है. चीन में इन दिनों लोग एक नई चेतावनी से खासा परेशान हैं. राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार ने सरकारी कर्मचारियों का विदेश में पढ़ाई करना ही बैन कर दिया है. विदेशी नागरिकों को सरकारी कर्मियों के साथ होने वाले संपर्क पर भी कड़ा नियंत्रण कर दिया गया है. कुछ किंडरगार्टन शिक्षकों, डॉक्टरों और यहां तक कि सरकारी ठेकेदारों और सरकारी इंडस्‍ट्री के कर्मचारियों को भी यही आदेश दिया गया है. 

पासपोर्ट जमा करने का आदेश 

न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स की रिपोर्ट के अनुसार कर्मचारियों को उनके पासपोर्ट जमा करने का ऑर्डर भी दिया गया है. चीन ने इसके पीछे जो तर्क दिया है, उसके अनुसार इस पहल का मकसद राष्‍ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाना, भ्रष्‍टाचारा को रोकना और कॉस्‍ट कटिंग करना है. यहां की टिना ल्‍यू को  दक्षिणी चीन के एक सरकारी एलीमेंट्री स्‍कूल में लिट्रेचर की टीचर के तौर पर नियुक्‍त किया गया था. जब उन्‍हें नौकरी मिली तो उनके कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर अनुपस्थिति और परफॉर्मेंस से जुड़ी सामान्‍य चेतावनियां थीं. इसके बाद और बात लिखी थी, स्कूल की अनुमति के बिना विदेश यात्रा करने पर उनकी नौकरी जा सकती है. 

एक स्टाफ ग्रुप चैट में इस नियम को और पुख्ता कर दिया गया. इस ग्रुप चैट पर आए मैसेज के अनुसार, 'उच्च अधिकारियों के नियमों के अनुसार टीचर्स को अपनी अनुशासनात्‍मक जागरूकता बढ़ानी होगी. हम फिलहाल किसी को व‍िदेश जाने के लिए छुट्टी नहीं देंगे.' इसी तरह के चेतावनी वाले मैसेज धीरे-धीरे बाकी कर्मियों को भी मिलने लगे हैं. कई शहरों में, सरकारी कर्मचारी अगर विदेश यात्रा पर गए, चाहे उसकी वजह निजी ही क्‍यों न हो तो उसके लिए भी मंजूरी अनिवार्य कर दी गई है. 

इन 3 वजहों से आया नियम 

साधारण रिसर्च, आदान-प्रदान और अध्ययन के लिए विदेश में व्यावसायिक यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. और तो और ज्‍यादातर प्रांतों में तो विदेश में अध्ययन करने वालों को अब कुछ सरकारी पदों के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है. अधिकारियों की मानें तो राष्‍ट्रीय सुरक्षा की रक्षा, भ्रष्टाचार से लड़ने और लागत में कटौती सहित कई वजहें जिन्‍होंने इस पहल को और मजबूत बना दिया है. 

हर बात पर है सरकार की नजर 

वहीं प्रतिबंधों का दायरा तेजी से बढ़ रहा है. अब इसमें उन कर्मचारियों को भी शामिल किया जा रहा है जो कहते हैं कि संवेदनशील जानकारी या सरकारी धन तक उनकी पहुंच ही नहीं है. एक और व्यक्ति ने कहा कि वह जिस शहर में काम करती है और अगर उन्‍हें वहां से भी बाहर जाना है तो अपने एंप्‍लॉयर को जानकारी देनी होगी. कुछ स्थानीय सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के तीन से ज्‍यादा लोगों के समूह में बाहर खाना खाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. ये कदम सरकारी डिनर में बहुत ज्‍यादा शराब पीने की कई रिपोर्टों के बाद उठाए गए हैं. 

हालांकि अधिकारियों की विदेशी संपर्कों पर पैनी नजर है. चीनी सरकार लंबे समय से जासूसी के खतरे और असंतोष फैलाने की कोशिश कर रही शत्रुतापूर्ण विदेशी ताकतों के प्रति सतर्क रही है. जुलाई में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र, पीपुल्स डेली ने एक आर्टिकल आया था जिसमें कहा गया था कि लोगों से लोगों के बीच कूटनीति 'पार्टी की वजह से मौजूद है' और इसका नेतृत्व पार्टी को ही करना चाहिए. 

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