खालिस्तान, व्यापार, खराब रिश्ते.. भारत के साथ ट्रूडो का फैलाया रायता समेट पाएंगे मार्क कार्नी?

Canada Election Results 2025: कनाडा के संघीय चुनावों को जीतकर मार्क कार्नी एक बार फिर पीएम बनने के लिए तैयार हैं. उनकी इस जीत के बाद भारत कनाडा से क्या उम्मीद कर सकता है?

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Canada Election 2025 Result : कनाडा में फिर से पीएम बनने को तैयार मार्क कार्नी

Canada Election Results 2025: कनाडा के संघीय चुनावों को जीतकर मार्क कार्नी एक बार फिर पीएम बनने के लिए तैयार हैं. मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी की जीत ने कनाडा के सबसे तनावपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संबंधों में से एक- यानी भारत के साथ उसके संबंधों को फिर से पटरी पर लाने और उसे सही दिशा में गति देने की संभावना जगा दी है. राजनीति के पिच पर नए खिलाड़ी मार्क कार्नी ने हाल ही में कहा था कि "संकट में मैं सबसे उपयोगी हूं." अगर उनके इस मंत्र को स्वीकार करें तो उनकी जीत नई दिल्ली और ओटावा के बीच द्विपक्षीय संबंधों में संभावित सुधार का संकेत देती है, वह संबंध जो पूर्व प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में काफी खराब हो गए थे.

अपने चुनावी कैंपेन में मार्क कार्नी ने भारत के साथ संबंधों को फिर से पटरी पर लाने को प्राथमिकता के रूप में पहचाना था. उन्होंने कहा था, "कनाडा समान विचारधारा वाले देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों में विविधता लाना चाहता है और भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाने के अवसर हैं. उस वाणिज्यिक रिश्ते के आसपास मूल्यों की साझा भावना होनी चाहिए और अगर मैं प्रधान मंत्री हूं, तो मैं इसे बनाने के अवसर की प्रतीक्षा कर रहा हूं."

ट्रूडो के कार्यकाल में रिश्ते हुए तल्ख

जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर एक कनाडाई नागरिक और खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हो गई. ट्रडो सरकार ने आरोप लगाया कि इस हत्या में "भारतीय एजेंट्स" शामिल हैं. इसके बाद भारत-कनाडा संबंध अपने निचले स्तर पर पहुंच गए.

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अक्टूबर 2024 में तनाव तब और बढ़ गया जब कनाडा ने छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया. वहीं भारत ने निज्जर की हत्या में किसी भी तरह का हाथ होने से इनकार किया और आरोपों को निराधार बताया. बात यहां तक बिगड़ी की दोनों देशों ने शीर्ष दूतों को निष्कासित कर दिया, व्यापार वार्ता रोकनी पड़ी और आधिकारिक यात्राएं निलंबित करनी पड़ीं.

नई दिल्ली लंबे समय से वहां की सरकार पर कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों को जगह देने का आरोप लगाती रही है. ट्रूडो की सरकार को भारतीय अधिकारियों ने अलगाववादी बयानबाजी के लिए बहुत अनुकूल और सार्वजनिक रूप से भारत की निंदा करने में बहुत तेज माना था. ऐसे माहौल में मार्क कार्नी की जीत पर दोनों देशों में बारीकी से नजर रखी जा रही है.

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कार्नी का क्या है नजरिया?

60 साल के मार्क कार्नी ने बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड दोनों का नेतृत्व किया है. उन्होंने अपने चुनावी कैंपेन में अमेरिका से आ रहे संप्रभुता संकट और टैरिफ खतरों पर जोर दिया और उसको देखते हुए कनाडा के विदेशी गठबंधनों को फिर से जिंदा करने का आह्वान किया.

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कार्नी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कनाडा की स्वायत्तता के लिए खतरा बताया है. जीत के बाद उन्होंने कहा, "डोनाल्ड ट्रंप हमें तोड़ना चाहते हैं ताकि अमेरिका हम पर कब्जा कर सके." उन्होंने कनाडा के व्यापार संबंधों में विविधता लाने का वादा किया है, खास तौर से भारत को एक प्रमुख भागीदार बताया है.

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कार्नी ने लगातार कहा है कि कनाडा को साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ वाणिज्यिक साझेदारी की आवश्यकता है, और भारत, हालिया विवादों के बावजूद, एक आवश्यक भागीदार बना हुआ है. कार्नी ने फरवरी में एक इंटरव्यू में टोरंटो स्टार को बताया, "अलग-अलग व्यक्ति, अलग-अलग नीतियां, शासन करने के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण."

भारतीय प्रवासियों वाला फैक्टर

भारत सरकार लंबे समय से कहती रही है कि उसकी प्राथमिक चिंता अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा है. सरकार विदेशों में खालिस्तानी तत्वों के समर्थन को, विशेष रूप से रैलियों, सोशल मीडिया प्रचार और कथित धन उगाहने वाले नेटवर्क के रूप में, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखती है. ट्रूडो ने भारतीय चिंताओं पर कार्रवाई करने के लिए बहुत इच्छा नहीं दिखाई, खासकर जब सिख अलगाववादियों को हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ करते देखा गया था.

भारत कनाडा में अप्रवासियों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है. प्रवासी भारतीयों और इंडो-कनाडाई समुदाय की संख्या अस्थायी श्रमिकों, छात्रों या स्थायी निवासियों के रूप में लगभग 2.8 मिलियन है. अकेले भारत से गए छात्रों की आबादी अनुमानित 427,000 से अधिक है. वे कनाडा की शिक्षा और श्रम बाजार में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं.

ट्रूडो के कार्यकाल में भले राजनयिक स्तर पर संबंध खराब हुआ, लेकिन भारत से प्रवासियों का कनाडा जाना नहीं रुका. कार्नी से भारत को अपेक्षा है कि वे विशेष रूप से कुशल पेशेवरों, तकनीकी कर्मचारियों और छात्रों के लिए इस गति को बनाए रखेंगे.

व्यापार को फिर से ट्रैक पर लाना होगा

राजनयिक झगड़े का एक नुकसान कनाडा और भारत के बीच रुका हुआ व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) था. व्यापार समझौते पर दोनों के बीच सालों से बातचीत चल रही थी लेकिन निज्जर मामले पर बवाल के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था. कार्नी जो बोल रहे हैं, कम से कम वे सीईपीए को पुनर्जीवित करने की तैयारी का सुझाव देती हैं.

2023 में द्विपक्षीय सेवा व्यापार 13.49 बिलियन CAD रहा. दोनों सरकारों ने पहले एआई, फिनटेक, हरित ऊर्जा और उच्च शिक्षा में सहयोग बढ़ाने पर विचार किया था. कार्नी के नेतृत्व में ये क्षेत्र फिर से गति पकड़ सकते हैं, खासकर जब दोनों अर्थव्यवस्थाएं चीन और अमेरिका पर निर्भरता कम करना चाहती हैं.

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