'कश्मीर' और 'हिंदूफोबिया' पर क्या सोचती है ब्रिटेन की नई '400 पार' वाली सरकार, जानिए

Britain New Govt. ऋषि सुनक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बेहतरीन तालमेल था, इसने दोनों देशों के लिए काफी अच्छा काम किया. क्या नई लेबर सरकार के तहत भी यह जारी रहेगा या आपको कोई बदलाव की उम्मीद है?

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हिंदूफोबिया पर ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री की सोच...?

ब्रिटेन में आखिरकार 14 साल बाद सत्‍ता परिवर्तन हो गया है. लेबर पार्टी ने शानदार जीत दर्ज कर हाउस ऑफ कॉमन्‍स पर कब्‍जा कर लिया है. चुनाव में भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि ब्रिटेन की नई सरकार की भारतीय मुद्दों को लेकर क्‍या सोच है? 'कश्मीर' और 'हिंदूफोबिया'  जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर क्या सोच रखते हैं. कीर स्टार्मर ने देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले भाषण में देश वासियों के 'हृदय में व्याप्त निराशा' को दूर करने और राष्ट्र के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया.  

ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में कीर स्टार्मर के चुने जाने के बाद प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर तेजी से काम होने की उम्‍मीद है. इस मुद्दे पर जहां ऋषि सुनक के कार्यकाल के दौरान बातचीत धीरे-धीरे आगे बढ़ी, अब इसकी गति तेज होने की संभावना है. साथ ही भारतीय पक्ष को उम्मीद है कि 10, डाउनिंग स्ट्रीट में उनकी उपस्थिति बढ़ेगी और चरमपंथियों की कम होगी, जो तत्व भारत विरोधी प्रचार में लगे हुए हैं.

कश्‍मीर पर नरम पड़ चुके हैं लेबर पार्टी के सुर

लेबर पार्टी के साथ भारत के संबंधों को 2019 में एक बड़ा झटका लगा, जब पार्टी ने अपने पिछले नेता जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व में कश्मीरियों के लिए आत्मनिर्णय का आह्वान किया. साथ ही जेरेमी कॉर्बिन ने यह भी मांग की थी कि भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने के बाद अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को केंद्र शासित प्रदेश में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए. हालांकि, स्टार्मर ने यूके की आधिकारिक स्थिति को साफ करते हुए बताया था कि जम्मू-कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है यानि इसमें किसी तीसरे देश को पड़ने की जरूरत नहीं है. स्टार्मर ने बाद में लेबर फ्रेंड्स ऑफ इंडिया के साथ एक बैठक में भाग लेते हुए कहा, "भारत में कोई भी संवैधानिक मुद्दा भारतीय संसद का मामला है और कश्मीर भारत और पाकिस्तान के लिए एक द्विपक्षीय मुद्दा है जिसे शांतिपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए."

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हिंदूफोबिया पर ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री की सोच

भारतीय प्रवासियों तक पहुंचते हुए, जिनके साथ वह लेबर के संबंधों को फिर से बनाना चाहते हैं, स्टार्मर ने उन्हें यह भी आश्वासन दिया है कि ब्रिटेन में हिंदूफोबिया के लिए कोई जगह नहीं है. बता दें कि अपने आउटरीच के एक हिस्से के रूप में, वह लंदन में दिवाली और होली समारोह में शामिल हुए हैं. ब्रिटेन में भारत के पूर्व उच्चायुक्त यश सिन्हा कहते हैं, "मौजूदा नेतृत्व आगे बढ़ गया है, लेकिन यह देखने की जरूरत है कि क्या चरमपंथियों का समर्थन करने वाले लोग हाशिए पर थे और उन पर कैसे लगाम लगाई जाती है."

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क्‍या सुधर रहे हैं मौजूदा पार्टी से संबंध

चुनावों से पहले भारत सरकार लेबर नेताओं के संपर्क में रहने के साथ संबंधों में सुधार के संकेत दे रही थी, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण बैठक विदेश मंत्री एस जयशंकर और स्टार्मर के बीच रही, जब उन्‍होंने नवंबर में ब्रिटेन का दौरा किया था. बैठक के बाद जयशंकर ने कहा था कि भारत संबंधों को मजबूत करने की दिशा में ब्रिटेन में द्विदलीय प्रतिबद्धता को महत्व देता है. लेबर के घोषणापत्र और सुरक्षा पर जोर को देखते हुए, सिन्हा को रक्षा, साइबर सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक को स्वतंत्र और खुला रखने की आवश्यकता पर अधिक सहयोग की भी उम्मीद है. 

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लेबर पार्टी के घोषणापत्र से भारत का उम्‍मीद...

राजनयिक  यश सिन्हा कहते हैं, "शुरुआती फोकस घरेलू मुद्दों पर होगा, लेकिन जब विदेश नीति की बात आएगी, तो भारत शीर्ष पर होगा." और एफटीए (जहां अब तक 14 दौर की वार्ता हो चुकी है और कुछ पेचीदा मुद्दे अभी भी मेज पर हैं) एक प्रमुख जोर होगा. स्टार्मर की पार्टी ने घोषणापत्र में कहा, "हम भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी की तलाश करेंगे, जिसमें मुक्त व्यापार समझौता, साथ ही सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग गहरा करना शामिल है." लेकिन व्यापार विशेषज्ञ ब्रिटेन की बातचीत की रणनीति में व्यापार वीजा, सामाजिक सुरक्षा और स्कॉच पर आयात शुल्क में भारी कटौती के साथ बातचीत का फोकस देखते हैं.

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