बांग्लादेश की राजधानी ढाका में लाठी-डंडों से लैस लोगों का एक समूह बृहस्पतिवार को यहां बंगबंधु के स्मारक संग्रहालय के सामने इकट्ठा हुआ और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों द्वारा उनके पिता एवं देश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की याद में एक कार्यक्रम आयोजित करने के प्रयास को विफल कर दिया.
शेख मुजीबुर रहमान की 15 अगस्त, 1975 को हत्या की गई थी.
पिछले वर्षों के विपरीत, बंगबंधु के 32 धानमंडी स्थित निजी आवास पर कोई शोक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया. इस आवास को उनकी हत्या के बाद स्मारक संग्रहालय में बदल दिया गया था.
हसीना की अवामी लीग पार्टी ने बृहस्पतिवार को ‘एक्स' पर कहा, ‘‘कोई जुलूस नहीं निकाला गया, कोई प्रदर्शन नहीं किया गया, लेकिन लोग राष्ट्रपिता बंगबंधु को श्रद्धांजलि देना चाहते थे. कट्टरपंथी समूह जमात-ए-इस्लामी, बांग्लादेश इस्लामी छात्रशिबिर और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी से जुड़े लोग आम जनों की पिटाई कर रहे हैं.''
अपने बयान में हसीना ने हिंसा के दौरान बंगबंधु संग्रहालय को जला दिए जाने पर दुख व्यक्त करते हुए कहा था कि 'हमारे पास जो स्मृति और प्रेरणा थी, वह जलकर राख हो गई.' उन्होंने कहा था, ‘‘यह किसी ऐसे व्यक्ति का घोर अपमान है...जिसके नेतृत्व में हम एक स्वतंत्र राष्ट्र बने. मैं इस कृत्य के लिए देशवासियों से न्याय की मांग करती हूं.''
हसीना ने बांग्लादेशियों से इस दिन को शांतिपूर्ण तरीके से मनाने, बंगबंधु स्मारक संग्रहालय परिसर में पुष्पांजलि अर्पित करने और प्रार्थना करने का आग्रह किया था. उनकी पार्टी ने बृहस्पतिवार को कहा कि निहत्थे कार्यकर्ताओं पर भीड़ का विरोध करने पर हमला किया गया, क्योंकि वे बंगबंधु की स्मृति में उनके निवास पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्र हुए थे.
दैनिक अखबार ‘प्रोथोम अलो' की खबर के अनुसार, ‘‘ लाठी-डंडों से लैस कुछ प्रदर्शनकारी लोगों को राजधानी के धानमंडी 32 में जाने से रोक रहे थे. यहां तक कि वे उन लोगों की पिटाई भी करते देखे गए जो ऐतिहासिक धानमंडी 32 में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे.''
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता और प्रवक्ता अमीर खासरू महमूद चौधरी ने संग्रहालय पर हमले का जिक्र करते हुए ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘कोई भी इसका समर्थन नहीं करता... लेकिन किसी (हसीना सरकार) की इतनी ज्यादती के कारण ऐसी प्रतिक्रिया हुई.''
बांग्लादेश में पांच अगस्त को हसीना सरकार गिरने के बाद देशभर में हिंसक घटनाओं में 230 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जिसके साथ ही तीन सप्ताह तक हुई हिंसा के दौरान मरने वालों की संख्या बढ़कर 560 हो गई.