पति थे साइंटिस्ट, बेटा कारोबारी, बेटी WHO में डायरेक्टर... देखिए शेख हसीना की फैमिली ट्री

बांग्लादेश में 49 साल पहले 15 अगस्त 1975 को सेना ने तख्तापलट किया था. बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास 'गणभवन' में उस समय खून की नदियां बही थीं. सेना के तख्तापलट में शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की उनके घर पर ही हत्या कर दी गई थी.

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नई दिल्ली:

बांग्लादेश में 2 महीने से चल रहे आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन के सरकार विरोधी आंदोलन में तब्दील होने के बाद सियासी घटनाक्रम इतनी तेजी से बदले कि शेख हसीना को महज 45 मिनट के अंदर सबकुछ छोड़कर अपने देश से भागना पड़ा. बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना (Sheikh Hasina) फिलहाल भारत में हैं. शरण (Asylum) के लिए ब्रिटेन के क्लियरेंस का इंतजार कर रही हैं. आज से 49 साल पहले शेख हसीना को इससे भी गहरे जख्म मिले थे. उस समय सिर्फ डेढ़ घंटे की बगावत और तख्तापलट के बाद हसीना ने अपने पिता समेत परिवार के 17 लोगों को एक ही समय में हमेशा के लिए खो दिया था.

बांग्लादेश में 49 साल पहले 15 अगस्त 1975 को सेना ने तख्तापलट किया था. बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास 'गणभवन' में उस समय खून की नदियां बही थीं. सेना के तख्तापलट में शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की उनके घर पर ही हत्या कर दी गई थी. उस समय वो प्रधानमंत्री थे. हत्यारों ने शेख हसीना की मां, उनके तीन भाइयों और एक भतीजे को मौत के घाट उतार दिया था. ये तख्तापलट बांग्लादेश सेना की ही बागी टुकड़ी ने किया था. उस दिन शेख हसीना के परिवार के कुल 17 लोगों का कत्ल हुआ. उस वक्त शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना यूरोप के ट्रिप पर थीं. लिहाजा दोनों की जान बच गई थी. 

आइए जानते हैं शेख हसीना की पूरी फैमिली हिस्ट्री? 1975 में उनके परिवार के किन-किन सदस्यों की हो गई थी हत्या:-

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1. शेख मुजीबुर्रहमान  (Sheikh Mujibur Rahman):  शेख मुजीबुर्रहमान  बांग्लादेश के संस्थापक नेता, महान अगुआ और पहले राष्ट्रपति थे. उन्हें बांग्लादेश का जनक कहा जाता है. वो बंग बंधु के नाम से भी जाने जाते हैं. शेख मुजीब अवामी लीग के अध्यक्ष थे. उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र संग्राम की अगुवाई करते हुए बांग्लादेश को मुक्ति दिलाई थी. बाद में वो प्रधानमंत्री भी रहे. बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के दोषी अब्दुल मजीद को शनिवार रात ढाका की केंद्रीय जेल में फांसी पर लटका दिया गया. शेख मुजीबुर्रहमान 17 अप्रैल 1971 से लेकर 15 अगस्त 1975 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे. इसी दिन उनकी हत्या हुई थी.

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2. शेख फजीलतुन्नेसा मुजीब (Sheikh Fazilatunnesa Mujib): शेख मुजीबुर्रहमान ने अपनी चचेरी बहन शेख फजीलतुन्नेसा मुजीब से शादी की थी. उन्हें आमतौर पर बेगम मुजीब के तौर पर जाना जाता है. शादी के वक्त मुजीबुर्रहमान 18 साल के थे. फजीलतुन्नेसा की उम्र महज 8 साल थी. फजीलतुन्नेसा मुजीब बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान 17 दिसंबर तक नजरबंद थीं.

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3. शेख हसीना (Sheikh Hasina): शेख हसीना, शेख मुजीबुर्रहमान और फजीलतुन्नेसा मुजीब की पहली संतान हैं. उनका जन्म 28 सितंबर 1947 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के तुंगीपारा में हुआ था. ढाका के ही ईडन कॉलेज से उन्होंने बैचलर डिग्री ली है. शेख हसीना बांग्लादेश में सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रही हैं. 

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4. शेख कमाल (Sheikh Kamal): शेख कमाल,  शेख मुजीबुर्रहमान की दूसरी संतान और सबसे बड़े बेटे थे. उन्हें मुजीबुर्रहमान का उत्तराधिकारी माना जा रहा था. 1975 में उनकी भी हत्या कर दी गई थी.

5. शेख जमाल (Sheikh Jamal): शेख जमाल, मुजीबुर्रहमान के तीसरी संतान और दूसरे बेटे थे. वो बांग्लादेश आर्मी में लेफ्टिनेंट थे. 1975 में तख्तापलट के दौरान सेना ने उनकी हत्या कर दी थी.

6. शेख रेहाना (Sheikh Rehana): शेख रेहाना, मुजीबुर्रहमान की छोटी बेटी हैं. जब पूरे परिवार का कत्ल हुआ, तब रेहाना सिर्फ 23 साल की थीं. जबकि शेख हसीना की उम्र 28 साल थीं. दोनों की शादी हो चुकी थी. उस समय दोनों अपने-अपने पति और बच्चों के साथ  जर्मनी में थीं. इसलिए उनकी जान बच गई. शेख रेहाना आवामी लीग से जुड़ी हुई हैं.

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7. शेख रसेल (Sheikh Russel): शेख रसेल, शेख मुजीबुर्रहमान के सबसे छोटे बेटे और शेख हसीना के सबसे छोटे भाई थे. 1975 में तख्तापलट के दौरान जब पीएम हाउस पर हमला हुआ, तब रसेल मात्र 10 साल के थे. हत्यारों ने उनकी मां की लाश के सामने घसीटते हुए रसेल को गोली मारी थी.

8. एमए वाजेद मियां (M.A. Wazed Miah): शेख हसीना ने 1967 में वाजेद मियां से शादी की थी. वाजेद मियां एक न्यूक्लियर साइंटिस्ट थे. सिंगापुर में एक बीमारी के इलाज के दौरान 2009 में उनकी मौत हो गई.

9. साजिब वाजेद (Sajeeb Wazed): साजिब वाजेद, शेख हसीना के बेटे हैं. 53 साल के साजिब वाजेद अमेरिका में रहते हैं. वो पेशे से कारोबारी होने के साथ-साथ इंफॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी के लिए बांग्लादेश सरकार के सलाहकार भी रह चुके हैं.

10. साइमा वाजेद  (Saima Wazed): शेख हसीना की बेटी साइमा वाजेद पेशे से साइकोलॉजिस्ट और हेल्थ एक्टिविस्ट हैं. साइमा इसके साथ ही सोशल वर्क से भी जुड़ी हुई हैं. फिलहाल वो WHO में दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रों में डायरेक्टर के तौर पर काम करती हैं.

11. रदवान मुजीब सिद्दिकी (Radwan Mujib Siddiq): शेख रेहाना के बेटे रदवान मुजीब सिद्दिकी, आवामी लीग के सेंटर फॉर रिसर्च के इंचार्ज और UN सलाहकार रह चुके हैं. बाद में वो थाईलैंड शिफ्ट हो गए थे. फिलहाल बैंकॉक में ही हैं.

12. ट्यूलिप सिद्दिकी (Tulip Siddiq): ट्यूलिप सिद्दिकी रेहाना की बेटी हैं. वो फिलहाल ब्रिटिश सांसद हैं. साथ ही सोशल वर्क से जुड़ी हुई हैं.

कैसे हुई थी शेख हसीना के परिवार की हत्या?
शेख हसीना ने अपने परिवार के कत्लेआम की पूरी घटना पर खुद एक ब्लॉग लिखा था. ये ब्लॉग 'ढाका टाइम्स' में छपा था. उससे पढ़ने से पहले बांग्लादेश के हालात को समझना होगा.

दरअसल, 1975 में शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के पीएम थे और सेना में उनके खिलाफ काफी असंतोष था. 15 अगस्त 1975 में सेना की एक बागी टुकड़ी का ये असंतोष बगावत में तब्दील हो गया. पीएम हाउस में उस दिन खून की नदियां बही थी. पूरा ऑपरेशन डेढ़ घंटे का था. शेख मुजीबुर्रहमान के ढाका में तीन घर थे और उस रात सेना ने उनके तीनों घरों पर धावा बोला था. 

10 साल के बेटे को मां की लाश के सामने गोलियों से भूना
सेना की एक टुकड़ी ने सबसे पहले शेख मुजीबुर्रहमान के बड़े बेटे शेख कमाल को गोली मारी. फिर शेख कमाल की पत्नी, छोटे भाई कमाल उनकी पत्नी और इसके बाद शेख मुजीबुर्रहमान को भी मौत के घाट उतार दिया. इसी दौरान शेख मुजीबुर्रहमान की पत्नी को भी काट दिया गया. फिर सबसे छोटे बेटे रसेल (जो उस समय 10 साल के थे) को घसीटते हुए पिता-मां की लाश पर से लेकर गए और मां की लाश के सामने गोली मार दी. 

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भतीजे की भी ले ली जान
हत्यारों ने शेख मुजीब के भतीजे की भी जान ले ली. सेना की एक और टुकड़ी फजलुल हक मोनी के घर पहुंची थी, जो शेख मुजीब के भतीजे थे. सेना ने उन्हें और उनके परिवार को भी मौत के घाट उतार दिया.

शेख हसीना और शेख रेहाना ने 
अपने परिवार के कत्ल की खबर पाकर शेख हसीना और शेख रेहाना जर्मनी में रहीं. बाद में भारत में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने उन्हें शरण दी. दोनों 1975 से 1981 तक दिल्ली में नाम और पहचान बदलकर रहीं. दोनों दिल्ली के पंडारा पार्क इलाके में एक घर में मिसेज मजूमदार बनकर रह रही थीं. अब इस जगह पर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बन चुका है.

ये हैं रेहाना, जिनके साथ शेख हसीना ने छोड़ा बांग्लादेश, परिवार के कत्लेआम के बाद दोनों ने भारत में गुजारे थे 6 साल

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