बांग्लादेश को करेंसी नोटों के संकट का सामना क्यों करना पड़ रहा, यहां समझिए

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश आजादी के आंदोलन को लीड करने वाली शेख मुजीबुर रहमान के चित्र वाली करेंसी नोटों को छापने पर रोक लगा दी है.

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बांग्लादेश से एक बड़ी खबर सामने आई है. सुत्रों के अनुसार बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख मुजीबुर रहमान के चित्र वाली करेंसी नोटों को छापने पर रोक लगा दी है. इस आदेश से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने और नागरिकों के रोजमर्रा की जिंदगी में बाधा उत्पन्न होने की संभावना है.

भले ही मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने फैसले के संबंध में कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं की है, लेकिन रिपोर्टों से पता चलता है कि बांग्लादेश की आजादी को लीड करने वाले शेख मुजीबुर रहमान की चेहरे वाले नोटों को जारी करने पर अचानक लगी रोक से मार्केट में और लोगों के पास करेंसी नोटों की कमी हो रही है. 

इस परेशानी को और बढ़ाते हुए, बांग्लादेश का केंद्रीय बैंक अब लगभग 15,000 करोड़ टका (बांग्लादेश की स्थानीय मुद्रा) के पुराने नोटों से निपटने पर ध्यान देगा.

बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने के बाद अंतरिम सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिन्हें बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

सूत्रों के अनुसार बांग्लादेश में एक साल के अंदर अलग-अलग मूल्यवर्ग (वैल्यू) के 1.5 अरब नए बैंक नोटों की मांग होती है. लेकिन बांग्लादेश के पास मौजूदा करेंसी नोटों को बदलने की क्षमता नहीं है, खासकर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है जो काफी हद तक नकद लेनदेन पर निर्भर है.

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अर्थशास्त्रियों का कहना है कि उच्च महंगाई दर और बढ़ती खाद्य कीमतों के साथ, करेंसी नोटों की आपूर्ति में संकट को तुरंत दूर नहीं किया गया तो यह आर्थिक तबाही का कारण बन सकता है. सूत्रों का कहना है कि भले ही नए नोट छापे जाएं, लेकिन करेंसी नोटों को बदलने में काफी समय लगेगा क्योंकि जो मांग है वह आपूर्ति क्षमता से कहीं अधिक है. अर्थशास्त्री यह सुनिश्चित करने के लिए नोट जारी करने की मांग कर रहे हैं कि अर्थव्यवस्था को नोटबंदी जैसे कदम से अनावश्यक दबाव का सामना न करना पड़े.

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