बांग्लादेश में पिछले साल पांच अगस्त को शेख हसीना की सरकार गिर गई थी. हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गई थीं. बुधवार को इस घटना के छह महीने पूरे हुए.इस अवसर पर बांग्लादेश एक बार फिर हिंसा भड़क उठी. राजधानी ढाका में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब उर रहमान के घर धानमंडी-32 में उग्र भीड़ ने तोड़फोड़ कर आगजनी की. ढाका के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी शेख हसानी की पार्टी अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं के घरों में तोड़फोड़ की खबरें सामने आई हैं. इसके अलावा पुलिस ने सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें मशहूर फिल्म एक्ट्रेस मेहर अफरोज शॉन भी शामिल हैं. ये घटनाएं बताती हैं कि छह महीने बाद भी बाद भी बांग्लादेश वहीं खड़ा है, जहां वह छह महीने पहले था. अंतरिम सरकार के आने के बाद पिछले छह महीने में बांग्लादेश में कुछ नहीं बदला है, बल्कि हालात और खराब हुए हैं.
कैसे हैं बांग्लादेश के हालात
बांग्लादेश में हालात कैसे हैं यह बताने के लिए धानमंडी-32 में हुई तोड़फोड़ की घटना काफी है. प्रदर्शनकारी इस घर को तोड़ने के लिए छोटे-मोटे औजारों के अलावा बुलडोजर भी लेकर पहुंचे थे. हालात यह थी कि बुधवार शाम से शुरू हुई कार्रवाई गुरुवार को भी जारी रही. इसका मतलब यह हुआ कि पुलिस या दूसरे सुरक्षा बलों ने उग्र भीड़ को रोकने की कोशिश ही नहीं की. यह घटना इस तरफ भी इशारा करती है कि यह सब सरकार की देखरेख में हुआ. खबर यह भी है कि सेना के जवान वहां बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे ही पहुंच गए थे. लेकिन वे हाथ पर हाथ धरे खड़े रहे.
ढाका में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब उर रहमान के घर धानमंडी-32 में लोगों ने तोड़फोड़ की.
दरअसल शेख हसीना ने बुधवार रात करीब नौ बजे ही बांग्लादेश के युवाओं को ऑनलाइन संबोधित किया था. उनके कार्यक्रम की घोषणा के बाद ही लोग सड़कों पर उतर गए थे. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना के इस कदम पर नाराजगी जताई. उसका कहना है कि हसीना भारत में बैठकर बांग्लादेश की राजनीति नहीं कर सकती हैं. अंतरिम सरकार ने हिंसा की घटनाओं पर चिंता जताते हुए उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है. वहीं शेख हसीना की अवामी लीग की कट्टर प्रतिद्वंदी बाग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने कहा है कि अगर अंतरिम सरकार हालात संभालने में विफल रहती है तो राज्य और सरकार की स्थिरता को खतरा पैदा हो जाएगा. वहीं कई पार्टियों ने बुधवार को शुरू हुई हिंसा के लिए हसीना के ऑनलाइन भाषण को जिम्मेदार ठहराया है.
क्या अंतरिम सरकार से खुश हैं छात्र संगठन
दरअसल शेख हसीना की सरकार को हटाने में छात्र संगठन के आंदोलन का प्रमुख हाथ था. इन छात्र संगठनों का कहना है कि जिस भावना से हसीना की सरकार का हटाया गया था, अंतरिम सरकार उसे लागू कर पाने में नाकाम रही है. उनका कहना है कि सरकार लोगों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने में असफल है. उसने विद्रोह के लक्ष्यों को हासिल करने में रुचि नहीं दिखाई है.
आठ अगस्त 2024 को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार पद की शपथ लेते मोहम्मद यूनुस. युनूस.
शेख हसीना की सरकार के छह महीने बीत जाने के बाद भी बांग्लादेश अभी पटरी पर नहीं आया है. अगस्त 2024 और जनवरी 2025 के बीच महंगाई आसमान पर पहुंच गई है. बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी धीमी हुई है. इसका परिणाम यह हुआ है कि विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने बांग्लादेश के जीडीपी की विकास दर के अनुमान को 4.6 फीसदी से घटाकर 3.8 फीसदी कर दिया है. बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आई है. इससे उसे कई तरह के भुगतान करने में परेशानी पेश आ रही है. पिछले साल युवाओं और छात्रों का आंदोलन शुरू होने से पहले बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग की पूरी दुनिया में पूछ थी. लेकिन हिंसा और राजनीतिक अनिश्चितता ने बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है. इस वजह से दुनिया के कई बड़े फैशन ब्रांड अब किसी नए ठिकाने की तलाश कर रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो 50 अरब डॉलर का बांग्लादेश का कपड़ा बाजार बुरी तरह प्रभावित होगा.
छह महीने में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने किया क्या है
अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के समय ऐसी खबरें आई थीं कि इसके पीछे अमेरिका का हाथ है. उस समय अमेरिका में जो बाइडेन की सरकार थी. लेकिन नवंबर में हुए चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की. इस साल 20 जनवरी को अमेरिका की बागडोर संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने यूएसऐड के जरिए बांग्लादेश को मिलने वाली अमेरिकी सहायता ही रोक दी है. यह इस बात का प्रतीक है कि अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन से ट्रंप प्रशासन खुश नहीं हैं. अमेरिका के वित्तीय मदद रोक दिए जाने के बाद से बांग्लादेश में हजारों लोगों की नौकरी जाने का खतरा है. हालांकि यह भी एक तथ्य है कि ट्रंप प्रशासन ने कई देशों की मदद रोक दी है. कूटनितिक मोर्चे पर भी अंतरिम सरकार के हाथ बहुत कुछ नहीं लगा है. वो केवल भारत के कट्टर दुश्मन पाकिस्तान के साथ ही पिंगे बढ़ा पाने में सफल हुई है.
छात्रों के हिंसक आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा देकर भारत आ गई थीं.
शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद सत्ता संभालने वाली नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की सरकार राजनीतिक दुश्मनों को ठिकाने लगाने के अलावा कोई काम नहीं किया है.उसने अवामी लीग के हजारों कार्यकर्ताओं और नेताओं पर मुकदमा दर्ज किया है. ये नेता या तो भूमिगत हो गए है या जेल में डाल दिए गए हैं. अवामी लीग के बहुत से नेता और कार्यकर्ता भारत में रह रहे हैं. उनके अलावा कई पूर्व पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों और सेना के अधिकारी भी भारत में शरण लिए हुए हैं.अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. वो लगातार कार्यक्रम कर रहे हैं. इसमें लोग शामिल हो रहे हैं. अंतरिम सरकार अवामी लीग की डिजिटल मौजूदगी बढ़ने और राजीतिक कार्यक्रम से परेशान हैं.
कब होंगे बांग्लादेश में चुनाव
बांग्लादेश के बिगड़ते हालात पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने भी चिंता जताई है. अंतरिम सरकार ने सत्ता संभालने के बाद जल्द से जल्द चुनाव कराने का वादा किया था. लेकिन सरकार छह महीने बाद भी चुनाव करा पाने में नाकाम है. इससे देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई है. राजनीतिक दल चुनाव की मांग कर रहे हैं. अंतरिम सरकार वोट देने की आयु को घटाकर 17 साल करना चाहती है. लेकिन राजनीतिक दल इसे चुनाव में देरी का एक बहाना बता रहे हैं. हालांकि यूनुस ने कहा है कि इस साल के अंत तक चुनाव होंगे. लेकिन अभी बांग्लादेश के जो हालात हैं, उससे नहीं लगता है कि सरकार चुनाव करा पाएगी.
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