बढ़ती आबादी पर रोक लगाने के मकसद से इन दिनों यूपी सरकार की जिस नीति के मसौदे की चर्चा जोरों पर है उसको लेकर केंद्र सरकार का रुख बिल्कुल उलट रहा है. और बीजेपी के सांसद प्राइवेट मेंबर बिल ला रहे हैं. दिसंबर 2020 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया कि सिर्फ दो बच्चों के लिए मजबूर नहीं कर सकते, देश में परिवार नियोजन का कार्यक्रम स्वैच्छिक हो. 2020 से 2021 में आते हैं तो असम और यूपी दो ऐसे राज्य हैं जहां जनसंख्या नियंत्रण के लिए नीति बनाने की चर्चा चल रही है. ऐसा कैसे हो सकता है कि एक नीति केंद्र की, दूसरी राज्य की? सवाल इंडिया का है कि क्या केंद्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार की सोच में अंतर है?