समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriages) को मान्यता देने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की 5 जजों की संविधान पीठ ने एकमत से एक ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाया है. 5 जजों की पीठ ने समलैंगिक शादी को मान्यता नहीं दी. 5 जजों की संविधान पीठ ने बहुमत से कहा कि कानून बनाना संसद का काम है. विवाह का अधिकार स्वचालित रूप से प्रवाहित नहीं होता. विवाह का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है. इसके साथ ही समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार भी नहीं दिया गया. इस पर 3-2 से फ़ैसला हुआ. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समलैंगिकों के अधिकारों की पहचान के लिए कमेटी बने और उन्हें कुछ कानूनी अधिकार और सामाजिक सुरक्षा का लाभ दें.