प्रदर्शन में मौजूद सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं की शिकायत है कि ये बिल सूचना के अधिकार को कमज़ोर करने की सरकार की चाल है और इसे वापस लिया जाए. संशोधित बिल से इन्फॉर्मेंशन कमिश्नर की काम की अवधि और वेतन तय करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास आ जाएगा. सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे सूचना आयुक्तों की स्वायत्तता प्रभावित होगी और वो खुलकर निष्पक्ष फ़ैसले नहीं ले पाएंगे. यूपीए सरकार के दौर में आया सूचनाधिकार क़ानून भ्रष्टाचार से लड़ने में एक अहम हथियार साबित हुआ था लेकिन सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं को लगता है कि संशोधन के बाद ये बिल कमज़ोर हो जाएगा और जिस मकसद से ये क़ानून बना था वही ख़त्म हो जाएगा. इस विरोध के बीच सूचनाधिकार संशोधन बिल गुरुवार को आख़िरकार राज्यसभा में भी पास हो ही गया.