राजनीति वन लाइनर होती जा रही है. बोलने में भी और विचार से भी. सारा ध्यान इसी पर रहता है कि ताली बजी कि नहीं बजी. लोग हंसे की नहीं हंसे. मजा चाहिए, विचार नहीं. इस वक्त बहुत जरूरी है कि नोटबंदी के व्यापक स्वरूप पर गंभीर चर्चा हो. कितनी गंभीर है वही देखेंगे.