राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में सामने आया है कि मानसिक विकार 10 प्रतिशत से भी ज़्यादा जनसंख्या में है. अभी भी 80 प्रतिशत लोगों को इलाज मुहैया नहीं हो पाता. विशेषज्ञों का कहना है कि इस वक़्त सबसे ज़्यादा ज़रूरत सिर्फ मनोचिकित्सक की ही नहीं बल्कि ज़्यादा से ज़्यादा मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने की है, जिससे तनाव और आत्महत्या के मामलों को कम किया जा सके.