रवीश कुमार ने प्राइम टाइम में बताया कि जेकब जॉन और अरुण शाह का पेपर बताता है कि मुज़फ्फरपुर में होने वाली मौत का संबंध लीची से है. ग़रीबी से है और कुपोषण से है. इन्होंने 2012 में रिकॉर्ड देखा तो पता चला कि ज्यादातर बच्चों को सुबह के 6 से 7 बजे के बीच दौरे पड़ते हैं. दौरे पड़ने का मतलब साधारण ज़ुबान में यह हुआ कि बच्चों का दिमाग सुन्न होने लगा. होता यह है कि लीची सुबह 4 बजे तोड़ी जाती है. तोड़ने वाले गरीब मज़दूर होते हैं. रात को कम खाया होता है. खाली पेट मां बाप और बच्चे पहुंच जाते हैं और लीची तोड़ते वक्त खा लेते हैं. जब कमज़ोर शरीर वाला और खाली पेट वाला बच्चा लीची खाता है तो वह एक्यूट एंसिफ्लाइटिस की चपेट में आ जाता है. वैसे इसे एंसीफेलोपैथी बोलते हैं. दिमागी बीमारी के लिए इस शब्द का इस्तेमाल होता है. ध्यान रखिए कि फलाइटिस और पैथी में अंतर होता है. लीची के में एक ऐसा तत्व होता है जो कुपोषण वाले खाली शरीर में ग्लूकोज का बनना बंद कर देता है. ग्लूकोज बंद होते ही दिमाग काम करना बंद कर देता है और तेज़ी से ब्रेन के बाद लीवर पर असर होता है. बच्चा मर जाता है.