प्रयाग के कुंभ के कई रंग दिखाई पड़ रहे हैं अध्यात्म और मोक्ष की कामना के लिए लोग तो आ ही रहे हैं पर इस सांसारिक जगत के लोग भी अपने अपने तरीके से इस कुंभ को का लाभ ले रहे हैं इन्हीं में से वृंदावन से आई दृष्टिहीनों की एक टोली है जो एक जगह बैठ कर दिन भर भजन गाते हैं लोगों को भजन सुनाते हैं और लोग खुश होकर इन के दानपात्र में दान करते हैं इसमें से जो पैसा इकट्ठा होगा वह दृष्टिहीनो के स्कूल उनके भोजन और रहन-सहन पर खर्च होगा साफ है कि प्रयाग दान क्षेत्र है. यहां दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है और अगर यह दान नेत्रहीन के किसी अच्छे मकसद के लिए किया जाए तो उसका पुण्य और बड़ा होता है.