अफगानिस्तान में तालिबानी राज क्या कर सकता है? वो 1999 में भारत ने भी झेले हैं. उसका जो रौद्र रूप था, वो भी हमने देखे हैं. नहीं भूल पाया है भारत कंधार को. ऐसे में एक दुविधा जो भारत के सामने है. वो है कि तालिबान के साथ बातचीत करें या नहीं. कोई समझौता करें या नहीं, और कहां तक उसको लेकर जाएं?