बहुत जल्दी लोग महिलाओं के सवाल से उकता कर 8 मार्च को औपचारिक मानने लग जाते हैं और इससे बच निकलना चाहते हैं. यह सही है कि लड़ाई हर दिन की है मगर एक दिन भी ज़रूरी है कि उसे विशेष रूप से याद किया जाए. दिल्ली के जंतर मंतर पर कई महिला संगठनों का कार्यक्रम था. वहां जो आवाज़ें सुनाई दीं, उसे आप 8 मार्च क्या 9 मार्च को भी सुन सकते हैं, सवाल है कि आप कर क्या रहे हैं उन सवालों के साथ. नहीं सुलझाएंगे तो याद रखिएगा 8 मार्च फिर आएगा. इसीलिए 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का मनाना ज़रूरी है ताकि अधूरे कामों को याद दिलाया जा सके.