पिछला साल किसानों को 'तबाह' करने वाले ला नीना का लगातार तीसरा साल था, और इसे 'ट्रिपल डिप' कहा जाता है. वर्ष 1950 से 2022 के बीच ऐसा सिर्फ़ दो बार हुआ है. वैसे, कुल मिलाकर पिछले छह दशक के दौरान मॉनसून की औसत बारिश में करीब 6 फीसदी की कमी आई है. यानी बड़ी तस्वीर यह है कि अब जलवायु परिवर्तन का असर हमारे देश की उपज पर दिख रहा है. उस देश की उपज पर, जो कृषि प्रधान है.