भारत के इतिहास में यह सबसे लंबा, सबसे हिंसक, सबसे विवादास्पद और सबसे राजनीतिक भूमि विवाद है. इस विवाद को राजनीति के मैदान में लड़ा गया. दावों और प्रतिदावों के बीच इससे संबंधित हिंसा में न जाने कहां कहां लोग मारे गए. हिन्दू भी मारे गए, मुस्लिम भी मारे गए. अंत में लड़ते झगड़ते सब इस बिन्दु पर पहुंचे कि जो भी अदालत का फैसला होगा, सब मानेंगे. अदालतों का फैसला भी रेगिस्तान की गर्मी और ऊंचे पहाड़ों की थकान से गुज़रते हुए अब अंजाम पर पहुंचता दिख रहा है. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहा दी गई. उस मामले में कौन-कौन शामिल थे, इस पर पता लगाने के लिए 17 साल तक लिबहरान आयोग की सुनवाई चली. यूपी के ट्रायल कोर्ट में जारी है मगर अपराधी सज़ा से दूर हैं. इस सवाल को मौजूदा बहस से ग़ायब कर दिया गया है. मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम पर जो मर्यादाएं तोड़ी गईं उन पर न प्रायश्चित है और न अदालत का फैसला.