अगर आपको पता चले कि कोई आपकी बातचीत सुन रहा है, स्मार्टफोन का डेटा किसी और के पास जा रहा है, सोशल मीडिया पर जो लिख रहे हैं उस पर सुरक्षा एजेंसियां नज़र रखती हैं तो क्या आप सहज रहेंगे. भारत ही नहीं पूरी दुनिया में डेटा प्राइवेसी का मामला गंभीर हो गया है. खासकर जब भी यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर आता है तब यह मसला और भी गंभीर हो जाता है. यह बात ध्यान में रखिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा का ख़तरा या मसला सिर्फ एक देश को नहीं है, सभी देशों को है. इसका मतलब यह नहीं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर आपकी ज़िंदगी में कोई भी ताक-झांक कर सके. आपकी लिखी गई बात, तस्वीरों या बातचीत को किसी और के हवाले कर दें या कोई और सुनता रहे.