सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवादों में कॉल रिकॉर्डिंग को सबूत के तौर पर मान्य मान लिया है। यह फैसला उन हजारों मामलों पर असर डाल सकता है जो फैमिली कोर्ट में चल रहे हैं। लेकिन इस फैसले के क्या मायने हैं? क्या यह निजता के अधिकार (Right to Privacy) का उल्लंघन है? और इसे सबूत के तौर पर पेश करने की कानूनी शर्तें क्या हैं? इन्हीं सवालों पर हमने बात की दिल्ली हाई कोर्ट की वकील और मैरिटल लॉ एक्सपर्ट दीप्ति भगत से। उन्होंने इस फैसले के हर पहलू पर विस्तार से जानकारी दी और बताया कि यह कैसे न्याय पाने की दिशा में एक अहम कदम है।