सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े मुकदमे में जब एक ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाया तो राम मंदिर के निर्माण के रास्ते की तमाम क़ानूनी अड़चनें ख़त्म हो गईं... इस बड़े फ़ैसले के बाद दो तरह की धारणाओं ने ज़ोर पकड़ा... एक धारणा ये कि इस फ़ैसले के बाद अब धार्मिक स्थलों से जुड़े ऐसे और विवाद क़ानूनी तौर पर थम जाएंगे... ऐसा मानने वालों को 1991 के Places of Worship Act यानी उपासना स्थल अधिनियम, 1991 का बड़ा सहारा मिला... दूसरी धारणा ये पुख़्ता हुई कि राम मंदिर की तरह कई अन्य ऐसे धार्मिक स्थलों से जुड़े विवादों का फ़ैसला भी हो ही जाना चाहिए... मगर 1991 का क़ानून इसके रास्ते की एक बड़ी अड़चन बन रहा था... लेकिन मई 2022 में तत्कालीन चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक केस की सुनवाई के दौरान ऐसी मौखिक टिप्पणी की जिससे विवादों का नया पिटारा ही खुल गया... जस्टिस चंद्रचूड़ ने ऐसा क्या कह दिया...