बाल विवाह एक सदियों पुरानी सामाजिक बुराई है, जो हमारे समाज में अनादि काल से प्रचलित है. इसमें जाति, संस्कृति या धर्म की कोई बाधा नहीं है. भारत में बाल वधू की सबसे बड़ी संख्या है. जहां 8 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी अपने से अधिक उम्र के पुरुषों से कर दी जाती है. COVID-19 महामारी ने किशोरियों की शादी के बढ़ते मामलों के साथ समस्या को और बढ़ा दिया. कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन (केएससीएफ) ने एनडीटीवी के साथ मिलकर 'बाल विवाह मुक्त भारत' बनाने के लिए एक अखिल भारतीय अभियान शुरू किया है. यह अभियान 5,000 गांवों को कवर करेगा और बाल विवाह की रोकथाम और निषेध के संदेश को फैलाने के लिए देश भर के 10 मिलियन से अधिक नागरिकों को शामिल करेगा.