NDTV Khabar

रवीश कुमार का प्राइम टाइम: नागरिकता बिल में एक धर्म विशेष पर चुप्‍पी क्‍यों?

 Share

वसुधैव कुटुंबकम वाले भारत में आपका स्वागत है. पूरी दुनिया को कुटुंब यानी परिवार मानने वाले भारत की संसद में एक विधेयक पेश हुआ है. जिस भारत के सभी धर्मों को मानने वाले लोगों ने दुनिया के कई देशों में स्वेच्छा से नागिरकता ली है, उन्हें मिली भी है, उनके भारत में एक विधेयक पेश हुआ है. जिन्हें हम नॉन रेजिडेंट इंडियन कहते हैं उन्हें भी यह जानना चाहिए कि नागिरकता संशोधन विधेयक के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश यानी सिर्फ तीन पड़ोसी देशों से प्रताड़ना यातना के शिकार हिन्दू, ईसाई, पारसी, जैन, सिख और बौद्ध को नागरिकता दी जाएगी. इसमें एक मज़हब का नाम नहीं है. मुसलमान का. इस आधार पर कहा जा रहा है कि यह संविधान की मूल भावना यानी सेकुलरिज़्म के खिलाफ है क्योंकि भारत का संविधान धर्म, जाति और लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगा. अमित शाह कहते हैं कि किसी के खिलाफ नहीं है. किताब की भूमिका पढ़ लेने से न तो आप पूरी किताब समझ आती है और न ही आधी किताब पढ़ने वाला विश्व गुरु तो छोड़िए गांव गुरु भी नहीं हो सकता है. भारत के पड़ोस में सिर्फ पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश नहीं है. नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार भी है. जो बिल लाया गया है अगर उसका आधार सिर्फ प्रताड़ना है तो सिर्फ एक धर्म पर चुप्पी क्यों है. अगर सिर्फ मज़हब आधार है तो फिर प्रताड़ना का सहारा क्यों लिया जा रहा है.



Advertisement

 
 
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com