उत्तराखंड में बादल फटने से मची तबाही
- 1835 में खीरगंगा नदी ने उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी जिसमें 206 मंदिर ध्वस्त हो गए थे.
- मंगलवार को खीरगंगा नदी ने धराली गांव को कुछ सेकंड में मलबे में तब्दील कर दिया.
- खीरगंगा नदी ने पिछले वर्षों में कई बार रौद्र रूप दिखाया था.
उत्तरकाशी के धराली में खीरगंगा ने जिस तरह की तबाही मंगलवार को मचाई वो इस तरह की कोई पहली घटना नहीं है. जानकार बताते हैं कि वर्ष 1835 में भी खीरगंगा ने इसी तरह से अपना रौद्र रूप दिखाया था. उस साल भी खीरगंगा ने जमकर तबाही मचाई थी. तबाही ऐसी थी की एक झटके में कई गांव और 206 मंदिर तबाह हो गए थे. 190 साल बाद एक बार फिर धराली में खीरगंगा ने अपना विध्वंसक रूप दिखाया है. मंगलवार को महज कुछ सेकेंड्स में ही धराली गांव मलबे की ढेर में तबदील हो गया है. बताया जा रहा है कि जैसे-जैसे रेस्क्यू ऑपरेशन आगे बढ़ेगा वैसे-वैसे इस इस हादसे में मरने वालों की संख्या में इजाफा भी हो सकता है.
पहले हिमस्खलन और भूकंप ने भी डराया
उत्तरकाशी और इसके आसपास के इलाकों में प्राकृतिक आपदाओं का दौर जारी है. 20 अक्टूबर 1991 की रात 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था. भूकंप का केंद्र भटवाड़ी तहसील का आगोड़ा गांव था. इस भूकंप में 653 लोग मारे गए थे जबकि छह हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इसके बाद चार अक्टूबर 2022 को द्रौपदी का डांडा शिवर पर हिमस्खलन से पर्वतारोहण दल के 29 सदस्यों की मौत हो गई थी. 15 से 16 अगस्त 2013 को बाढ़ से उत्तरकाशी, हर्षिल, धराली में भारी नुकसान हुआ था. 11 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 13 गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
गंगोत्री हाईवे को भी हुआ नुकसान
धराली में आई इस तबाही का असर गंगोत्री हाईवे पर भी पड़ा है. इस हाईवे का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है. हाईवे के हिस्से के क्षतिग्रस्त होने से धराली तक पहुंच पाने में राहत और बचाव दल को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हाईवे के क्षतिग्रस्त होने के कारण ही डीएम औऱ एसपी भी घटनास्थल तक सड़क के रास्ते से नहीं पहुंच पाए.