- वाराणसी के सिगरा थाने में दस साल के कैंसर से पीड़ित बच्चे सूर्यांश को एक दिन के लिए एसएचओ बनाया गया
- सूर्यांश अपने गांव कुथिया में रहते हैं और होमी भाभा कैंसर अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं
- नन्हे एसएचओ ने मीडिया से कहा कि वह गलत काम करने वालों को पकड़ेंगे, जो एक सधा हुए जवाब था
एक छोटा सा कदम किसी को कितना सुकून और चैन दे सकता है, इसका अंदाजा इस खबर को पढ़कर आपको लग जाएगा. आम तौर पर पुलिस को लेकर नकारात्मक धारणा ही लोगों के मन में होती है. चाहे कोई थाने गया हो या नहीं. बगैर किसी पैरवी थाने पहुंचने वाले को तो कभी इस बात का भरोसा नहीं हो सकता कि पुलिस का ये चेहरा भी दिख सकता है.
वाराणसी में आज एक बच्चा इंस्पेक्टर की वर्दी में नजर आया. उसे सिगरा थाने का एसएचओ बना दिया गया है. एसएचओ की गाड़ी में बैठकर पहुंचे इस नन्हे एसएसओ को थाने के गेट पर लेने खुद पहले के एसएचओ और अन्य पुलिस स्टाफ पूरी इज्जत के साथ पहुंचे. मीडिया भी काफी संख्या में पहुंची हुई थी. नन्हे एसएचओ की हर बात कैमरों में रिकॉर्ड हो रही थी. नये एसएचओ साहब सीधे अपने केबिन में पहुंचे और अपनी सीट पर बैठ गए.
सीट पर बैठते ही मीडिया वालों ने सवाल पूछा, 'आप सबसे पहले क्या करेंगे?' नये एसएचओ साहब ने जवाब अप्रत्याशित दिया, 'जो गलत काम करेगा उसे पकडे़ंगे.' मीडिया वाले देखते रह गए. इतना सधा जवाब तो शायद कई सालों तक काम कर चुके एसएचओ भी न दे पाएं. फिर पुराने एसएचओ साहब ने अपने नये एसएचओ को एफआईआर रजिस्टर दिखाते हुए बताया कि जो कोई अपराध करता है, उसका मुकदमा इसमें लिखा जाता है. इसको डॉक्यूमेंट के रूप में रखा जाता है. इस बात को नये एसएचओ साहब बड़ी गंभीरता से सुनते और समझते नजर आए. थाने में हर आदमी खुश था, मगर साथ ही दुखी भी था.
क्यों मिला ये मौका
दुखी इस बात को लेकर कि नये एसएचओ साहब सिर्फ एक दिन ही रहेंगे. नये एसएचओ 10 साल के हैं. उनका नाम सूर्यांश है और कक्षा 3 के छात्र हैं. वो उत्तर प्रदेश के जिला संतकबीर नगर में पड़ने वाले गांव कुथिया के निवासी है. सूर्यांश कैंसर की बीमारी से जूझ रहे हैं. वो अपने माता-पिता के साथ गांव में ही रहते हैं. उनका इलाज होमी भाभा कैंसर अस्पताल वाराणसी में चल रहा है. सूर्यांश की बचपन से इच्छा थी कि वो पुलिस इंस्पेक्टर बने. इसलिए उन्हें आज एक दिन के लिए वाराणसी के सिगरा थाना का एसएचओ बनाया गया. पुलिस अधिकारी बनने कि इच्छा पूरी होने पर उनके चेहरे पर आशा, मुस्कान और खुशी दिखी. कैंसर से जूझ रहे सूर्यांश को पता है कि उन्हें सिर्फ एक दिन के लिए ही ये मौका मिला है, मगर उम्मीद है कि वह एक दिन वो जरूर रियल पुलिस अधिकारी बनेंगे. उनकी पुलिस अफसर बनने के इच्छा को मेक-अ -विश फाउंडेशन ऑफ इंडिया के जरिए पूरा हुआ.













