अयोध्या से काशी तक होटल फुल! अब न हों परेशान... योगी सरकार श्रद्धालुओं के लिए कर रही ये खास व्यवस्था

पर्यटन  विभाग के प्रस्ताव के अनुसार, अक्सर देखने में आता है कि प्रमुख धार्मिक या पर्यटन स्थलों पर होटल फुल हो जाते हैं. ऐसे हालात में पर्यटकों को रुकने में परेशानी होती है. इसी समस्या से निपटने के लिए यह नीति तैयार की गई है. इस नए प्रस्ताव को डबल डोज के रूप में देखा जा रहा है.

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लखनऊ:

अयोध्या हो या फिर काशी या मथुरा, यूपी के इन शहरों में मेला लगा रहता है. राम मंदिर बनने के बाद से ही अयोध्या की तकदीर और तस्वीर बदल गई है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद से वाराणसी का भी यही हाल है. बनारस ही नहीं अब तो मिर्जापुर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. मां विंध्यवासिनी की पूजा के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते रहते हैं. योगी सरकार यहां भी वाराणसी की तरह कॉरिडोर बनवा रही है. मथुरा के भी कायाकल्प की तैयारी है. बांके बिहारी मंदिर के आसपास कॉरिडोर बनाने का फैसला हो चुका है. मंदिर के पुजारी इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन देर सवेर ये बनकर ही रहेगा.

योगी कैबिनेट की बैठक में होम स्टे नीति-2025 को मंजूरी

प्रदेश के लोगों को रोजगार मिल जाए. यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी यात्रा सहज रहे. इन दोनों बातों का खयाल रखते हुए यूपी सरकार ने कुछ फ़ैसले किए हैं. इसी सिलसिले में मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में यूपी कैबिनेट की बैठक भी हुई. इसमें यूपी बेड एंड ब्रेकफास्ट (बीएंडबी) और होम स्टे नीति-2025 को मंजूरी दे दी गई. इस नई नीति का उद्देश्य राज्य के धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को ठहरने की बेहतर सुविधा देना है.

कैबिनेट ने 10 प्रस्तावों को दी स्वीकृति

पर्यटन  विभाग के प्रस्ताव के अनुसार, अक्सर देखने में आता है कि प्रमुख धार्मिक या पर्यटन स्थलों पर होटल फुल हो जाते हैं. ऐसे हालात में पर्यटकों को रुकने में परेशानी होती है. इसी समस्या से निपटने के लिए यह नीति तैयार की गई है. इस नए प्रस्ताव को डबल डोज के रूप में देखा जा रहा है. श्रद्धालुओं के साथ-साथ यूपी में रोज़गार के अवसर के रूप में सरकार इसे आगे बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है. लोकभवन में हुई कैबिनेट बैठक में कुल 11 प्रस्ताव अनुमोदन के लिए रखे गए, जिसमें कैबिनेट ने 10 प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की.

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बीएंडबी और होम स्टे नीति में धार्मिक और पर्यटन स्थलों में कोई भी व्यक्ति अपने 1 से 6 कमरों तक की इकाई को होमस्टे के रूप में रजिस्टर करा सकता है. इसके तहत, अधिकतम 12 बेड की अनुमति होगी. कोई भी पर्यटक लगातार 7 दिन तक इस सुविधा का लाभ उठाते हुए यहां ठहर सकता है. इससे अधिक ठहरने की स्थिति में रिन्यूअल की भी व्यवस्था होगी. अनुमति की प्रक्रिया जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की अगुवाई वाली कमेटी के माध्यम से पूरी की जाएगी.

होम स्टे के लिए ऐसे कराएं रजिस्ट्रेशन

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में होमस्टे यूनिट से लिए ₹500 से ₹750 तक फीस लिया जाएगा. वहीं, शहरी इलाक़ों में होमस्टे के लिए ₹2000 का आवेदन शुल्क तय किया गया है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जीवंत सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व वाले स्थलों के कारण यह राज्य विदेशी और घरेलू पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. राज्य में पहले ऐसी कोई नीति न होने के कारण होम स्टे संचालकों को केंद्र सरकार के निधि प्लस पोर्टल पर पंजीकरण कराना पड़ता था. अब राज्य सरकार की इस नई नीति के तहत वे स्थानीय निकायों का NOC लेकर रजिस्ट्रेशन करा पाएंगे.

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