संभल के बाद UP के एक और जिले में क्यों फैला तनाव? फतेहपुर मकबरे का विवाद समझिए

हिंदू पक्षों ने फतेहपुर के आबूनगर के रेडइया इलाके में मौजूद नवाब अब्दुल समद मकबरे पर ठाकुर जी का मंदिर होने का दावा किया था. उन्होंने दावा किया था कि ढांचे के अंदर त्रिशूल और कमल जैसे प्रतीक हिंदू मंदिर के प्रतीक हैं और वे किसी मकबरे में कभी नहीं पाए जाते.

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फतेहपुर में मकबरे पर क्यों हो रहा विवाद.

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  • उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में मकबरे को लेकर दो समुदायों के बीच हुए बवाल के बाद प्रशासन ने सुरक्षा कड़ी कर दी है.
  • मकबरे पर तीन स्तर की बांस-बल्ली से बैरिकेडिंग की गई और आसपास की गलियों में पुलिस तैनात है.
  • FIR में 10 नामजद, 150 अज्ञात आरोपियों का जिक्र किया गया है, जिनमें स्थानीय नेता और हिंदूवादी संगठन शामिल हैं.
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फतेहपुर:

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में सोमवार को एक मकबरे को लेकर दो समुदायों के बीच जमकर बवाल हुआ था. एक पक्ष ने मकबरे के अंदर और बाहर जमकर तोड़फोड़ (Fatehpur Uproar Over Tomb) की थी. हालांकि फिलहाल वहां शांति बनी हुई है. प्रशासन की तरफ से एहतियातन भारी सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. विवादित मकबरे पर तीन लेयर की बांस-बल्ली के बैरिकेड के अलावा आसपास की गलियों में पुलिस की बेरिकेडिंग भी की गई है. मौके पर पुलिस और पीएसी को भी तैनात किया गया है.

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FIR दर्ज, आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें तैनात

सोमवार को हुए विवाद को लेकर दर्ज हुई FIR में 10 नामजद आरोपियों के अलावा 150 अज्ञात लोगों का ज़िक्र है. नामजद लोगों में एक स्थानीय पार्षद, एक जिला पंचायत सदस्य समेत हिंदूवादी संगठनों से जुड़े लोगों के नाम शामिल हैं. फिलहाल पुलिस ने किसी की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें लगाई गई हैं.

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मकबरे पर क्यों हुआ बवाल, क्या है दावा

हिंदू पक्षों ने फतेहपुर के आबूनगर के रेडइया इलाके में मौजूद नवाब अब्दुल समद मकबरे पर ठाकुर जी का मंदिर होने का दावा किया था. उन्होंने दावा किया था कि ढांचे के अंदर त्रिशूल और कमल जैसे प्रतीक हिंदू मंदिर के प्रतीक हैं और वे किसी मकबरे में कभी नहीं पाए जाते. उन्होंने कुछ दिन पहले प्रशासन को एक ज्ञापन देकर 11 अगस्त को मकबरे में जाकर पूजा करने का ऐलान किया था. जिसके बाद प्रशासन ने एहतियातन मकबरे को बांस बल्लियों से घेर दिया था. इसके बावजूद सोमवार सुबह करीब 11 बजे हजारों की तादात में हिंदूवादी संगठनों के लोग एकट्ठा हुए और बेरिकेड को तोड़कर मकबरे में घुस गए.

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तोड़फोड़ और पथराव के बाद पुलिस बल तैनात

जिसके बाद मकबरे के अंदर और बाहर जमकर तोड़फोड़ की गई. इस घटा से नाराज मुस्लिम पक्ष ने जमकर पथराव कर दिया था. हालात बेकाबू होता देख प्रशासन ने किसी तरह से भीड़ को तितर-बितर किया. मकबरे समेत आसपास के इलाके में सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए . साथ ही प्रयागराज जोन के एडीजी को मौके पर भेजा गया, जिन्‍होंने घटनास्थल का जायजा लिया था.

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इस घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग पुलिस और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में मकबरे के अंदर घुसकर नारेबाजी, हंगामा, तोड़फोड़ करते और भगवा झंडा फहराते नजर आ रहे हैं.

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मकबरे के ऐतिहासिक स्वरूप से छेड़छाड़ न करने की अपील

राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने जिलाधिकारी को एक पत्र भेजकर प्रशासन से मकबरे के ऐतिहासिक स्वरूप से छेड़छाड़ न करने की अपील की है. मकबरे के मुतवल्ली मोहम्मद नफीस ने बताया कि यह इमारत करीब 500 साल पुरानी है और इसे बादशाह अकबर के पोते ने बनवाया था जिसमें अबू मोहम्मद और अबू समद की कब्रें हैं.

इस मामले पर अब राजनीति भी तेज हो गई है. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विपक्षी दलों से इस मुद्दे पर राजनीतिक 'रोटियां' सेंकने से बचने की अपील की. वहीं बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने सरकार से कड़ा रुख अपनाने और साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की है.