उत्तर प्रदेश की मऊ सदर सीट को जेल में बंद माफ़िया मुख़्तार अंसारी का गढ़ माना जाता है, मुख़्तार 1996 से लगातार यहां से विधायक हैं , इस बार सपा के सहयोगी ओपी राजभर ने मुख़्तार के बेटे अब्बास अंसारी को टिकट दिया है. क्या अब्बास अपने पिता की सीट बचा पाएंगे, यह जानने की उत्सुकता हर किसी को है.अब्बास का चुनाव प्रचार किसी हिंदी फ़िल्म के सीन की तरह है. उनकी गाड़ी के आगे उनके समर्थक मोटरसाइकिलों से नारे लगाते हुए चलते हैं. फिर अब्बास की SUV कार रुकती है और धूप का चश्मा लगाए अब्बास अंसारी गाड़ी से ही समर्थकों का अभिवादन स्वीकार करते हैं. अब्बास के नज़दीक पहुंचने के लिए लोग धक्कामुक्की भी करते नज़र आते हैं.
30 साल के अब्बास पेशेवर शूटर हैं और कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं. अब्बास नहीं मानते कि उनके पिता मुख़्तार अंसारी माफ़िया या डॉन हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि इस सीट पर उनके लिए कोई चुनौती नहीं है. अब्बास ने कहा, 'माफ़िया डॉन.... ये सब मेरे पिता को मीडिया या बीजेपी वाले कहते हैं पर आप लोगों से पूंछिए कि वो क्या हैं? क्या वो ऐसे ही जेल से चुनाव जीतेहैं ? पांच बार से विधायक हैं और इस बार मैं तो बाहर हूं , हम 1.5 लाख वोटों से चुनाव जीतेंगे.'
अब्बास के खिलाफ बीजेपी के अशोक सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. वे चार बंदूक़धारी पुलिस वालों की निगरानी में प्रचार कर रहे हैं.अशोक कहते हैं कि योगी सरकार ने यहां की जनता को सुरक्षा दी है जो उन्हें मुख़्तार के राज में कभी नहीं मिली. उन्होंने कहा, 'मुख़्तार अंसारी लड़ें या उनके बेटे लड़ लें, बात एक ही है और यहां किसी माफ़िया की औक़ात नहीं है. ये पूजनीय योगी जी की सरकार है यहां कोई छल या बल नहीं जीत सकता. वे हारने जा रहे हैं. मऊ सीट पर बसपा के हाथी पर सवार भीम राजभर भी अब्बास अंसारी और अशोक सिंह को टक्कर दे रहे हैं. भीम राजभर बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और अपनी नेता मायावती की तरह मीडिया से दूर हैं.बात मुख्तार अंसारी की तो वर्ष 2005 से जेल में बंद मुख़्तार जेल से ही तीन विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. वे पिछली बार बसपा से चुनाव जीते थे. 1 लाख 20 हज़ार की मुस्लिम आबादी वाले मऊ में मुख़्तार के परिवार को हराना मुश्किल नज़र आता है.
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