- यूपी ATS ने बांग्लादेश से आए अवैध घुसपैठियों को फर्जी दस्तावेज देने वाले 8 सदस्यों वाले गैंग का खुलासा किया है
- यह गिरोह जन सेवा केंद्रों में काम कर फर्जी आधार कार्ड, जन्म और निवास प्रमाण पत्र बनाकर घुसपैठियों को बसाता था.
- गैंग ने नौ राज्यों में सक्रिय रहते हुए दस्तावेजों के लिए इलेक्ट्रॉनिक और मैनुअल तरीकों का उपयोग किया था.
बांग्लादेश से आए विदेशी घुसपैठियों को भारत का फर्जी दस्तावेज बनाकर देने वाले एक गैंग का खुलासा यूपी एटीएस ने किया है. यह गैंग अवैध तरीके से भारत में आए बांग्लादेशी और रोहिंग्या को देश में बसाने के लिए फर्जी दस्तावेज देने के लिए मोटा पैसा लेता था. गैंग में शामिल 8 लोगों को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया है. इन आठों पर बांग्लादेश से अवैध तरीक़े से भारत में घुसे लोगों को देश में बसाने के आरोपों है. इन्होंने घुसपैठियों के फ़र्ज़ी दस्तावेज़ बनाने का काम किया है. अब ये यूपी एटीएस की गिरफ़्त में हैं.
दरअसल यूपी एटीएस ने चार जिलों से जिन आठ लोगों को गिरफ़्तार किया है, उनपर आरोप है कि ये जन सेवा केंद्र की आड़ में वीपीएन, रिमोट सिस्टम का इस्तेमाल कर घुसपैठियों के फर्जी दस्तावेज बनाते थे. इनका नेटवर्क यूपी के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल और दिल्ली-एनसीआर तक फैला हुआ था. फ़िलहाल एटीएस अब इनसे पूछताछ कर रही है.
एडीजी बोले- 9 राज्यों में सक्रिय था गिरोह
यूपी के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था और एसटीएफ) अमिताभ यश ने बताया कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर की गई कार्रवाई में इस गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह गिरोह दस्तावेजों को तैयार करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक और मैनुअल दोनों तरीकों का इस्तेमाल करता था और यह कम से कम देश के नौ राज्यों में सक्रिय था.
एडीजी यश ने कहा, ‘‘ पिछले कुछ महीनों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर तकनीकी और भौतिक रूप से निगरानी के साथ यह पता चला कि यह गिरोह उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तराखंड में सक्रिय था.''
जन सेवा केंद्रों में अस्थायी नौकरी कर चुके हैं आरोपी
अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) के मुताबिक गिरोह के सदस्य शुरुआत में आधार पंजीकरण प्रक्रिया की जानकारी हासिल करने के लिए कानूनी रूप से पंजीकृत जन सेवा केंद्रों में अस्थायी नौकरियों पर काम करते थे. बाद में, उन्होंने अवैध रूप से अधिकृत उपयोगकर्ताओं के आईडी और पासवर्ड, साथ ही अंगूठे के निशान और आईरिस स्कैन तस्वीरें हासिल कर लीं.
आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज बनाए
इनका इस्तेमाल करके, गिरोह ने अलग-अलग राज्यों में नकली आधार कार्ड बनाए. फिर बिचौलियों ने उन्हें ऐसे लोगों से जोड़ा जिनके पास कोई भारतीय दस्तावेज नहीं थे और जिन्हें अपनी जन्मतिथि या आधिकारिक रिकॉर्ड में बदलाव की जरुरत थी. उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों के लिए आधार कार्ड जारी करने या उनमें संशोधन करने के लिए नकली जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और हलफनामे तैयार किए गए थे.
दो हजार से 40 हजार तक चार्ज करते थे
एडीजी ने बताया, 'प्रत्येक फर्जी आधार कार्ड के लिए, गिरोह 2,000 रुपये से 40,000 रुपये तक वसूलता था. बाद में इन आधार कार्ड का इस्तेमाल लोगों ने पासपोर्ट और अन्य नकली भारतीय दस्तावेज प्राप्त करने तथा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किया.' पुलिस ने बताया कि गिरोह के पास से बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, फ़िंगरप्रिंट स्कैनर, आईरिस स्कैन उपकरण, डमी यूजर प्रोफ़ाइल, लेखपालों और अन्य सरकारी अधिकारियों की नकली मुहरें, साथ ही पहले से तैयार आधार कार्ड और दस्तावेज बरामद किए गए हैं.
एटीएस ने गिरोह के मास्टरमाइंड और सात अन्य सदस्यों को विभिन्न जिलों से गिरफ्तार किया है. एडीजी ने बताया कि लखनऊ के गोमती नगर स्थित एटीएस थाने में मामला दर्ज किया गया है और उनके सहयोगियों तथा कार्यप्रणाली के बारे में और अधिक जानकारी जुटाने के लिए विस्तृत पूछताछ जारी है.
यूपी के 5 जिलों से पकड़े गए 8 आरोपी
- आजमगढ़ के मुहम्मद नसीम, मुहम्मद शाकिब व विशाल कुमार
- मऊ के हिमांशु राय व मृत्युंजय गुप्ता
- गाजियाबाद के रहने वाले सलमान अंसारी
- औरैया के गौरव कुमार गौतम
- गोरखपुर के रहने वाले राजीव तिवारी
इनके पास से फर्जी दस्तावेज मिले हैं. इसमें आधार कार्ड, लैपटॉप, फिंगर स्कैनर और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस शामिल हैं. इन पर विदेशियों को फर्जी पासपोर्ट भी मुहैया कराने का आरोप है
हालांकि आज़मगढ़ के रहने वाले आरोपी विशाल के परिजन कुछ और ही दावा कर रहे हैं. वहीं आरोपी मोहम्मद नसीम और मोहम्मद शाकिब के परिजन के कैमरे पर नहीं आ रहे लेकिन पड़ोसियों ने बड़ी जानकारी दी. गाजियाबाद, गोरखपुर और मऊ में आरोपियों के परिजन घर पर मिले ही नहीं.
फ़िलहाल यूपी एटीएस इन आरोपितों की कस्टडी लेकर अब इस बात की पड़ताल करेगी कि आख़िर कितने लोगों को इन्होंने देश में बसाया है, जिनको देश में बसाया वो क्या कर रहे हैं और कहां हैं, कौन कौन इस गैंग में शामिल है और कितना बड़ा ये नेक्सस है. उम्मीद है इन गैंग के ख़ुलासे से अवैध घुसपैठ में कुछ हद तक रोक ज़रूर लगेगी.