जिस पराली से सब परेशान वो ही बनी कमाई का जरिया, एक कारोबारी की पहल आई काम

किसान देवेन्द्र सिंह ने बताया कि पहले हम पराली को जला दिया करते थे. लेकिन तब हमारे यहां फैक्ट्री लगी है. पराली के रेट भी अच्छे मिल जाते है और पर्यावरण भी शुद्ध रहता है. इसलिए अब हम इसे जलाते नहीं है. पराली को फैक्ट्री में भेज दिया करते हैं.

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हापुड़:

दिल्ली से महज 60 किलोमीटर दूर हापुड़ जिले में प्रदूषण को कम करने के लिए एक कारोबारी द्वारा अच्छी पहल शुरु की है. इस पराली को किसान खेतों में आग लगाकर प्रदूषण में जहर खोलने का काम करते थे. लेकिन किसान अब अपनी पराली को बेचकर लाभ कमा रहे हैं. हापुड मे स्थित एक फैक्ट्री मे पराली से बायोमास ब्रिकेट तैयार किए जा रहे है. इसका उपयोग उद्योगों द्वारा किया जाता है. कारोबारी ने कहा कि मैं किसानों से आग्रह करता हूं कि वे हमारे पास पराली लाएं, ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके.

किसान बेच रहे हैं पराली
पराली से दिल्ली-NCR की हवा जहरीली हो जाती है. पराली जलाने पर किसानों पर जुर्माना तक लगा जा रहा है. लेकिन पंजाब हरियाणा और यूपी मे पराली जलाने की घटना कम नहीं हो रहा है. प्रशासन ने लोगों को जागरूक किया, जिसका असर हापुड़ के किसानों पर दिख रहा है. यहां किसान पराली को बेचकर लाभ कमा रहे हैं.

पराली को लेकर क्या कहते हैं किसान
किसान देवेन्द्र सिंह ने बताया कि पहले हम पराली को जला दिया करते थे. लेकिन तब हमारे यहां फैक्ट्री लगी है. पराली के रेट भी अच्छे मिल जाते है और पर्यावरण भी शुद्ध रहता है. इसलिए अब हम इसे जलाते नहीं है. पराली को फैक्ट्री में भेज दिया करते हैं.

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कारोबारी मुकेश गर्ग ने पराली पर क्या कहा?
पराली से बायोमास ब्रिकेट को तैयार करने वाले कारोबारी मुकेश गर्ग ने कहा कि पराली अक्सर किसानों द्वारा खेतों में जला दी जाती थी. इस चीज को देखते हुए हमने 2011 में बायोमास ब्रिकेट बनाने का का फैक्ट्री लगाया है. काफी संघर्ष करने के बाद अब जाकर थोड़ी-थोड़ी सफलता मिलनी शुरू हुई है. किसानों से हम पराली खरीदते हैं. उसको क्रश करते हैं, फिर क्रश करके बायोमास ब्रिकेट बनाते हैं. मेरे द्वारा पंजाब हरियाणा गवर्नमेंट को मेल भेजा गया है, जिसमें किसानों से पराली की उपयोग करने की अपील की गई है.

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