एक अनार सौ बीमार, यूपी बीजेपी में संगठन के चुनाव पर जबरदस्त रार

यूपी में ठीक दो साल बाद मतलब 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसलिए जिला अध्यक्ष के बहाने ही सब अपनी गोटियां सेट करने में जुटे हैं.

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लखनऊ:

तारीख़ पर तारीख़. हर बार नई तारीख़ मिल जाती है. अब कहा जा रहा है 16 मार्च को ऐलान होगा. दिल्ली से लेकर लखनऊ तक सब हैरान परेशान है पर यूपी में बीजेपी के जिला अध्यक्षों पर फैसला हर बार टल जाता है. पार्टी के मंडल अध्यक्षों की घोषणा तो महीने भर पहले हो गई थी. मगर जिला अध्यक्ष तय करने में पार्टी नेतृत्व को पसीने छूट रहे हैं. एक अनार सौ बीमार की तरह. अपना अध्यक्ष बनाने के लिए पार्टी में ज़बरदस्त गुटबाज़ी जारी है. 

बीजेपी का आलाकमान भी नाराज

तय हुआ था होली से पहले हर हाल में फ़ैसला हो जाएगा. ज़िला अध्यक्ष तय करने में हो रही देरी से पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी नाराज़ है. पर लाख कोशिशों के बावजूद कई नामों पर सहमति नहीं बनीं. अब तय हुआ कि 16 मार्च को जिला अध्यक्षों की घोषणा होगी. पार्टी की तरफ से तय किए गए चुनाव अधिकारी को ये ज़िम्मेदारी दी गई है. वे अपने अपने जिलों में जाकर नाम की घोषणा करेंगे. एक एक सीट के लिए 25-30 नेताओं ने नामांकन किसा है. ऐसे में जब चुनाव अधिकारी वहां जाकर एक नेता के नाम का एलान करेंगे तो फिर हंगामा तय है. पहली बार ऐसी व्यवस्था की गई है. पार्टी के एक बड़े नेता ने बताया कि जब मंडल अध्यक्षों की घोषणा लखनऊ से हुई तो फिर ज़िलाध्यक्षों के मामले में नई पंरपरा की क्या ज़रूरत है. 

खूब हुई चर्चा पर फिर भी तय नहीं हुए नाम

यूपी में जिला और महानगर को जोड़ कर 98 अध्यक्ष होते हैं. इनके नाम तय करने से पहले उस जिले के पार्टी के पदाधिकारियों, विधायकों और सांसदों से चर्चा हुई. इसके बाद हर पद के लिए कुछ नेताओं के नाम का पैनल बना. फिर यूपी बीजेपी कोर कमेटी से इस पर चर्चा हुई. इस कमेटी में सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह हैं. फिर आरएसएस के क्षेत्र और प्रांत प्रचारकों से विचार विमर्श हुआ. इसके बाद भी लिस्ट तैयार नहीं हो पाया. कहा गया कि दलित और महिला नेताओं की संख्या कम है. तो मुख्य चुनाव अधिकारी महेन्द्र नाथ पांडे के साथ कई दौर की बैठकें हुई. 

जिला अध्यक्ष के लिए क्यों हो रहा इतना विवाद

जिला अध्यक्ष के लिए एक एक नाम पर विवाद है. इलाके के सांसद अपना आदमी चाहते हैं. तो वहां के प्रभावशाली मंत्री की पसंद कोई और है. संघ किसी और को ये ज़िम्मेदारी देना चाहता है. विधायकों में भी जिला अध्यक्ष के नाम को लेकर आपस में ज़बरदस्त खींचतान जारी है. कई मामले तो दिल्ली दरबार तक पहुंच गए. कुछ मामलों में पैसे के बदले पद देने के आरोप भी लग रहे हैं. ऐसी शिकायतें लेकर दो सांसद तो केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच गए. एक जिले में एक मंत्री के खिलाफ पार्टी के सभी विधायक एकजुट हो गए हैं. मामला आर पार जैसा हो गया है.

किस जाति से यूपी का बीजेपी अध्यक्ष

यूपी में ठीक दो साल बाद मतलब 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसीलिए जिला अध्यक्ष के बहाने ही सब अपनी गोटियां सेट करने में जुटे हैं. यूपी में बीजेपी की नया प्रदेश अध्यक्ष भी तय होना है. उनकी अगुवाई में विधानसभा का चुनाव होना है. नया अध्यक्ष ब्राह्मण होगा या फिर दलित या OBC समाज से. अभी सस्पेंस बना है. इस पद के दावेदार अपने अपने हिसाब से लॉबिंग कर रहे हैं. अगर नया अध्यक्ष पिछड़े समाज का होगा तो फिर किस बिरादरी से ! अभी फैसला होना बाक़ी है. जिसे ये ज़िम्मेदारी दी जाएगी उसके योगी आदित्यनाथ से कैसे संबंध हैं. इस पर भी सबकी निगाहें हैं. यूपी बीजेपी में कई ऐसे नेता हैं जिन्हें पार्टी के अंदर योगी की गुड बुक का नहीं माना जाता है. 

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