यूपी : योगी आदित्‍यनाथ के कार्यकाल में गन्ना मूल्य भुगतान और प्रति हैक्‍टेयर उत्‍पादन के मामले में बना रिकॉर्ड

मार्च-2017 में योगी सरकार के आने के पहले बकाया बड़ा मुद्दा था. सरकार ने आने के साथ ही पहला फोकस बकाये के भुगतान पर किया.  भुगतान के रिकॉर्ड आंकड़े इसके प्रमाण हैं.

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उत्‍तर प्रदेश, देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है (फाइल फोटो)
लखनऊ:

बसपा और सपा सरकार में बकाये के कारण किसानों के लिए कड़वे हो चुके गन्‍ने की मिठास अब लौट आई है. यूपी सरकार ने गन्ना मूल्य भुगतान, गन्ने के प्रति हेक्टेयर उत्पादन, चीनी परता और कोरोना काल में सभी चीनी मिलों के संचालन के मामले में रिकॉर्ड बनाया है. कुल मिलाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल में गन्ना 'ग्रीन गोल्ड" बनने की राह पर है. विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 18 अक्टूबर 2022 तक 179664.70 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान हो चुका है. यह 2012 से 2017 की तुलना में 8445 करोड़ रुपये अधिक है. 2007 से 2012 की तुलना में 127534 करोड़ रुपये अधिक है.(योगी सरकार द्वारा गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड एवं समयबद्ध भुगतान की पारदर्शी प्रक्रिया, प्रति कुंतल दाम में वृद्धि, खांडसारी इकाइयों के लाइसेंस प्रक्रिया का सरलीकरण जैसी नीतियों के कारण आने वाले समय में गन्ने की मिठास का और बढ़ना तय है.

मालूम हो कि प्रदेश में गन्ना किसानों की बड़ी संख्या के नाते राजनीतिक रूप से यह बेहद संवेदनशील फसल है . गन्ना मूल्य के बकाये से लेकर पेराई न होना आदि बड़ा मुद्दा बन जाता है. मार्च-2017 में योगी सरकार के आने के पहले बकाया बड़ा मुद्दा था. सरकार ने आने के साथ ही पहला फोकस बकाये के भुगतान पर किया.  भुगतान के रिकॉर्ड आंकड़े इसके प्रमाण हैं. भुगतान के साथ ही सरकार ने सबसे ज्‍यादा जोर पुरानी मिलों के आधुनिकीकरण और नई मिलों की स्थापना पर दिया है. इस क्रम में करीब दो दर्जन मिलों की क्षमता बढ़ायी गयी. गोरखपुर के पिपराइच, बस्ती के मुंडेरा और बागपत के रमाला में अत्याधुनिक और अधिक क्षमता की नई मिलें लगाई गईं . बसपा-सपा की तरह मिलों को बंद करने की बजाय नयी मिलें बनीं, पुरानी मिलों का आधुनिकीकरण हुआ

नई मिलों को खोला गया, पुरानी मिलों का आधुनिकीकरण
बसपा और सपा शासन काल में 2007 से 2017 के दौरान बंद होने वाली 29 मिलों के मद्देजर नई मिलों को खोलना और पुरानी मिलों का आधुनिकीकरण किसानों के हित में ऐतिहासिक कदम रहा. स्थानीय स्तर पर गन्ने की पेराई हो इसके लिए 25 साल बाद पहली बार किसी सरकार ने 100 घंटे के अंदर खांडसारी इकाईयों को ऑनलाइन लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था की. इसके दायरे में पहले से चल रही इकाइयां भी थीं. सरकार के अनुसार मौजूदा समय में 284 से अधिक इकाईयों को लाइसेंस निर्गत किया जा चुका है. इनकी कुल पेराई क्षमता 15 चीनी मिलों के बराबर है.

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गुड़ के प्रसंस्करण को बढ़ावा
लोग गुड़ के गुण और स्वाद को जानें इसके लिए सरकार ने मुजफ्फरनगर एवं लखनऊ में "गुड़ महोत्सव" का आयोजन किया गया. प्रसंस्करण के जरिए गुड़ को और उपयोगी बनाया जाय इसके लिए सरकार ने गुड़ को मुजफ्फरनगर और अयोध्या का एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित कर रखा है. मीलर्स को चीनी का अधिक दाम मिले इसके लिए गोरखपुर के पिपराइच और बस्ती के मुंडेरा मिलों में सल्फरमुक्त चीनी बनाने का काम भी शुरू हुआ है . मिलें ऊर्जा के मामले में आत्म निर्भर बनें इसके लिए उनमें को-जेनरेशन प्लांट भी लगाये जा रहे हैं.  सरकार ने लाखों किसानों के हित में प्रति कुंतल गन्ने का दाम 325 से 350 रुपये कर दिया.

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एथनॉल का उत्पादन बढ़ा 
 योगी  सरकार के प्रयास से 2020-2021 में 107.21 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन हुआ. 2021-2022 में 160 करोड़ लीटर उत्पादन का अनुमान है. 2016-2017 में एथनॉल का उत्पादन सिर्फ 43.25 करोड़ लीटर था.इसी तरह आसवनियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. 2016-2017 में इनकी संख्या 44 थी. 2022-2022 में बढकर 78 हो गई.

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दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का साफ निर्देश है कि जब तक खेत में किसानों का गन्ना है तब तक उस क्षेत्र की मिल को चलना चाहिए. चीनी मिलों की बढ़ी संचलन अवधि की वजह से गन्ने की खरीद भी बढ़ी. मसलन 2014-2015 में गन्ना मिलों ने 744.83 लाख टन गन्ना खरीदा था. 2021- 2022 में यह बढ़कर 1016.33 लाख टन हो गया. इसी समयावधि में गन्ने का उत्पादन 1389.02 लाख टन से बढ़कर 2272.19 तन हो गया.

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यूपी देश का सबसे अधिक गन्‍ना उत्‍पादन करने वाला राज्‍य
उत्‍तर प्रदेश, देश का सबसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य है . देश के गन्ने के कुल रकबे का 51 फीसद एवं उत्पादन का 50 और चीनी उत्पादन का 38 फीसद यूपी में होता है . देश में कुल 520 चीनी मिलों से 119 उत्तर प्रदेश में हैं. करीब 48 लाख गन्ना किसानों में से 46 लाख से अधिक मिलों को अपने गन्ने की आपूर्ति करते हैं.

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