प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ (Mahakumbh Mauni Amavasya Snan) मेले में बुधवार तड़के मौनी अमावस्या के मौके पर एक साथ लाखों श्रद्धालु उमड़ पड़े. जिसके बाद भगदड़ मच गई और कई लोग घायल हो गए. संगम घाट पर उस वक्त कैसा मंजर था. वहां मौजूद लोगों ने अपनी आपबीती बयां की है. भगदड़ में घायल हुए अपने बच्चे का अस्पताल में इलाज कराने पहुंची एक महिला ने बताया कि बेकाबू भीड़ ने क्या किया. उनके साथ अचानक से क्या हो गया.
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"धक्का मुक्की हो रही थी, बचने का मौका नहीं था"
वहीं अस्पताल के बाहर रोती बिलकती सरोजनी नाम की महिला ने बताया, "दो बसों में हमारा 60 लोगों का बैच आया है. हम ग्रुप में नौ लोग थे कि अचानक धक्का मुक्की हुई और कई लोग गिर गए. हम फंस गए और भीड़ बेकाबू हो गई. बचने का कोई मौका नहीं था क्योंकि सभी तरफ से धक्का दिया जा रहा था."
मध्य प्रदेश के छतरपुर से आए एक व्यक्ति ने बताया कि उनकी मां घायल हुई हैं और अस्पताल में भर्ती हैं. वहीं मेघालय के एक दंपति ने भी भगदड़ में फंसने के उनके भयावह अनुभव के बारे में बताया.
"महिला भीड़ के नीचे फंसी थी, उठ नहीं पा रही थी"
बता दें कि प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बुधवार को मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ जैसे हालात पैदा हो गए. इसमें संगम में स्नान करने जा रही 30 से ज्यादा महिलाएं घायल हो गईं.प्रत्यक्षदर्शियों ने इस घटना को बहुत भयावह बताया. इस घटना को देखने वाले जय प्रकाश स्वामी ने बताया, "महिला भीड़ के नीचे फंसी हुई थी और उठ नहीं पा रही थी. हम सब भीड़ में फंस गए थे. मैं सबसे पहले बाहर निकला, फिर मैंने बच्चों, पिता और मां की मदद की."
संतों का सिंहासन तैयार था, तभी हो गया हादसा
वहीं महंत रवींद्र पुरी ने पत्रकारों को बताया कि सभी संत महात्माओं के लिए सिंहासन लगा था और नागा संन्यासियों समेत सभी संत महात्मा स्नान के लिए तैयार थे. जब हमें सुनने में आया कि कोई घटना घटी है, तब हमने जनहित में यह निर्णय किया कि हम आज मौनी अमावस्या का स्नान नहीं करेंगे.उन्होंने बताया, “हमने मोबाइल में देखा कि ऐसा हादसा हुआ है. अधिकारियों से भी हमें इस बारे में पता चला. हमारे सभी अखाड़ों ने यह निर्णय किया है कि हम मौनी अमावस्या का स्नान नहीं करेंगे.