यूपी के मिल्कीपुर में हुए उपचुनाव ने एक बार फिर ये साबित किया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)का जनाधार अभी भी पहले जैसा ही बरकरार है. आपको बता दें कि विजय रथ पर सवार समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीत ली थीं. बीजेपी की सबसे बड़ी हार तो फ़ैज़ाबाद की थी. समाजवादी पार्टी ने अयोध्या वाली ये सीट बीजेपी से छीन ली थी. जिस अयोध्या में पिछले साल भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था. यहां से सांसद चुने गए अवधेश प्रसाद को इंडिया गठबंधन ने सामाजिक न्याय का चेहरा बनाया था, पर आज वही अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर में अपने बेटे की लाज नहीं बचा पाए. न तो उनका रोना काम आया न ही उनका दलित वाला कार्ड.
बीजेपी ने फैजाबाद की बार का बदला मिल्कीपुर जीत कर हिसाब बराबर कर दिया. जीत भी ऐसी जिसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई पड़ती रहेगी. समाजवादी पार्टी को जितने वोट मिले, उतने ही वोटों से बीजेपी जीत गई. मतलब मुक़ाबला एकतरफ़ा रहा. समाजवादी पार्टी की सारी नीति और रणनीति ध्वस्त हो गई. अखिलेश यादव का प्रचार और उनका सांसद पत्नी डिंपल यादव का रोड शो भी काम नहीं आया. इसके मुक़ाबले बीजेपी का हर दांव हिट रहा. पार्टी का हिंदुत्व कार्ड भी चला और सामाजिक समीकरण भी काम आया. महाकुंभ में भगदड़ के बहाने योगी सरकार की सनातन विरोधी छवि बनाने की अखिलेश की कोशिश भी फुस्स हो गई.
एक नज़्म है बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी. अब मिल्कीपुर की जीत से जो बात निकली है वो यूपी भर के लिए है. कहने के लिए तो ये बस एक सीट का उप चुनाव था. पर इसके पीछे गहरे राजनैतिक संदेश छिपे हैं. मिल्कीपुर की सीट SC के लिए सुरक्षित है. समाजवादी पार्टी को भरोसा अपने PDA वाले सोशल इंजीनियरिंग पर था. इलाके में अवधेश प्रसाद का अच्छा ख़ासा प्रभाव रहा है. वे खुद नौ बार विधायक रहे हैं. उनके सांसद बनने के बाद मिल्कीपुर सीट ख़ाली हुई. इसलिए अखिलेश यादव ने उनके बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया. बीजेपी ने भी उनके सामने अपने पासी नेता चंद्रभानु पासवान को उतार दिया. चुनावी नतीजे बताते हैं कि बीजेपी ने पासी वोट बैंक मैं ज़बरदस्त सेंधमारी की है. मिल्कीपुर में करीब 80 हज़ार पासी वोटर हैं.
समाजवादी पार्टी के लिए सबसे बुरी खबर यादव वोटों में बंटवारे की है. मिल्कीपुर में इस बिरादरी के 50 हज़ार वोटर हैं. समाजवादी पार्टी पासी, यादव और मुस्लिम वोटरों के दम पर चुनाव जीतने की तैयारी में थी. पर इस बार तो अपना बेस वोट बैंक ही बिखर गया. रुदौलू के बीजेपी विधायक रामचंद्र यादव के प्रभाव के कारण यादव समाज का एक तबका बीजेपी से जुड़ गया. इससे पहले करहल के उप चुनाव में भी यादव वोट बंटे थे. मिल्कीपुर मे 30 हज़ार मुस्लिम वोटर हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि ये समाजवादी पार्टी के वोटर हैं. पर इस चुनाव में एक तबका घर से बाहर वोट डालने ही नहीं निकला. समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद कहते हैं कि शासन प्रशासन ने चुनाव में बड़े पैमाने पर बेईमानी की है. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं अखिलेश यादव हार के बहाने बना रहे हैं.