भव्य शोभा यात्रा के साथ पंचायती अटल अखाड़े ने महाकुंभ क्षेत्र में किया प्रवेश, पुष्पवर्षा से हुआ जोरदार स्वागत

अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश की भव्य शोभा यात्रा दारागंज स्थित बक्शीबांध से शुरू हुई. करीब सात किलोमीटर लंबी अटल अखाड़े की शोभा यात्रा सेक्टर 20 स्थित अखाड़ा नगर अपने शिविर में पहुंची.

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प्रयागराज:

प्रयागराज में 13 जनवरी से लगने जा रहे दुनिया के सबसे बड़े मेले महाकुंभ को लेकर जहां संगम की रेती पर आकर्षण के केंद्र रहने वाले अखाड़ों से जुड़े साधु-संतों के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है. वहीं, 13 अखाड़ों में से एक शैव संप्रदाय से जुड़े श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़े ने आज अपना छावनी प्रवेश (पेशवाई) मेला क्षेत्र में बनी छावनी में किया.

अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश की भव्य शोभा यात्रा दारागंज स्थित बक्शीबांध से शुरू हुई. करीब सात किलोमीटर लंबी अटल अखाड़े की शोभा यात्रा सेक्टर 20 स्थित अखाड़ा नगर अपने शिविर में पहुंची. बैंड बाजे की धुन के साथ अटल अखाड़े के सैकड़ों साधु-संतों ने राजशाही अंदाज में शोभायात्रा निकाली. घोड़े, बग्धी समेत चांदी के रथ पर सवार होकर अटल अखाड़े के साधु-संत अपने लाव लश्कर के साथ इस शोभायात्रा में शामिल हुए. बता दें कि मेला क्षेत्र में आज चौथे अखाड़े का छावनी प्रवेश हुआ है.

इससे पहले जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और अग्नि अखाड़ा मेला क्षेत्र में अपना छावनी प्रवेश कर चुका है. दो जनवरी यानी कल श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी का छावनी प्रवेश बाघम्बरी गद्दी से शुरू होकर मेला क्षेत्र स्थित अखाड़ा नगर में प्रवेश करेगा. बुद्धि-विवेक के देवता गजानन आदि गणेश अटल अखाड़े के देवता के रूप में शुशोभित होते है. इस अखाड़े की स्थापना 569 इस्वी में शंकराचार्य के निर्देश पर हुई थी. दो लाख से अधिक संन्यासी इस अखाड़े में है.

]पेशवाई और नगर प्रवेश क्या होते हैं?
इन दोनों का सीधा संबंध यूं तो साधु संन्यासियों के कुंभ में आने से हैं. नगर प्रवेश छोटा जश्न होता है. जब देशभर से साधु संत कुंभ नगरी में आते हैं, तो शहर के बाबरी हिस्से में इकट्ठे होकर जुलूस की शक्ल में धूम धाम से अपने आश्रम (स्थाई आश्रम) तक जाते हैं. पेशवाई वो कार्यक्रम होता है जब कुंभ/महाकुंभ शुरू होने से पहले एक शुभ लग्न देखकर अखाड़े अपने स्थाई आश्रम से कुंभ क्षेत्र में बने अपने शिविर (अस्थाई आश्रम) में जाते हैं. इस दौरान अखाड़े अपने वैभव और शक्ति का प्रदर्शन करते हैं. हाथी, घोड़े, ऊंट, अस्त्र, शस्त्र और साधुओं की संख्या के आठ भव्य जुलूस लेकर अखाड़े के साधु संत कुंभ क्षेत्र में प्रवेश करते हैं.

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