Greater Noida: बकायेदार 32 बिल्डरों को प्राधिकरण ने दिया अल्टीमेटम, 20 हजार खरीददारों के फ्लैट अटकाने का आरोप

कई बिल्डरों ने अदालत से स्थगन आदेश ले लिया है. इसके खिलाफ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने लॉ फर्म की मदद लेने का फैसला किया है.

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ग्रेटर नोएडा:

ग्रेटर नोएडा के जिन बिल्डरों ने अमिताभ कांत समिति की सिफ़ारिशों पर अमल न करके अपने खरीददारों को राहत नहीं दी है, अब उन पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है. प्राधिकरण ने ऐसे 32 बिल्डरों को अल्टीमेटम दिया है. इन पर 20 हजार खरीदारों के फ्लैट को अटकाने का आरोप है. इन्हें जल्द ही सीधी बातचीत के लिए नोटिस भी जारी किया जाएगा.

कई बिल्डरों ने अदालत से स्थगन आदेश ले लिया है. इसके खिलाफ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने लॉ फर्म की मदद लेने का फैसला किया है. यानी इन बिल्डरों को कानूनी तौर से भी समझाने की कोशिश की जा रही है. इन बिल्डर्स की कारोबारी संपत्ति को अटैच करने की प्रक्रिया को शुरू करने की बात हो रही है.

दरअसल, घर खरीददारों के हितों का ख्याल रखते हुए राज्य सरकार ने प्राधिकरण को आदेश दिया है कि बिल्डर परियोजनाओं में हुई देरी पर खरीदारों से वसूली नहीं की जाए. सरकार ने रजिस्ट्री में देरी पर लगने वाले जुर्माने की वसूली पर 6 माह की छूट दी है.

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इससे प्राधिकरण के बिल्डर परियोजनाओं में 40000 खरीदारों को 100 करोड़ की राहत मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. घर खरीदारों का कहना है कि सालों से रजिस्ट्री के लिए वेट कर रहा हूं. 2020 में यहां फ्लैट लिया था. अजनारा होम्स में और उस समय मुझे बताया गया था कि बस 15 दिन या 20 दिन में आपकी रजिस्ट्री हो जाएगी. इतना पेमेंट करना है. बिल्डर ने हमसे स्टैप ड्यूटी भी ले लिया. हमें बार-बार यही बोला जाता है कि फंड नहीं है. 2018-19 में पैसा भी पूरा पेड हो गया है.

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ग्रेटर नोएडा में देखें तो कई ऐसे बिल्डर्स हैं, जिनके पूरे प्रोजेक्ट हो नहीं रहे हैं और उसके बाद  बिना रजिस्ट्री कई लोग रह रहे हैं. NFFOWA के उपाध्यक्ष दिनकर पांडे ने कहा कि इसके लिए जिम्मेदार प्राधिकरण है. लंबे संघर्ष के बाद अमिताभ कांत समिति बनी थी और उसने कुछ रिपोर्ट्स दी थी. उसके रिकमेंडेशन थे. पेमेंट पर अमिताभ कांत समिति ने कहा था कि जीरो पर ही आपको रजिस्ट्री करनी है वो नहीं माना. लेकिन उसके बाद और भी बहुत सारी रिकमेंडेशंस थे. जैसे ट्रांसपेरेंसी के लिए होम बायर्स को इंक्लूड करना है. डिसीजन मेकिंग में और 30 दिन के अंदर रेरा को एक कमेटी बनाकर ऐसे प्रोजेक्ट का क्रैश बेसिस पर रेजोल्यूशन प्लान करना था, जो 2018 से पहले चालू हुए हैं और दो साल की देरी से चल रहे हैं.

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