नेपाल के अलग-अलग बैराजों से छोड़े गए लाखों क्यूसेक पानी ने हजारों परिवारों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. घाघरा नदी खतरे के निशान से 96 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुकी है. यूपी बॉर्डर से लगे रामनगर, सिरौलीगौसपुर और रामसनेहीघाट तहसील क्षेत्र के गांवों को नदी के उफन ने घेर लिया है. घरों में पानी भरने के बाद लोग जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं. लोग पानी के बीच तख्त पर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं.
चारो तरफ पानी-पानी
सिरौलीगौसपुर के तेलवारी गांव में हालत सबसे ज्यादा खराब है. यहां के तमाम परिवार अपनी जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं. गांव के कई लोगों को खाना पकाने के लिए लकड़ियां तक नहीं मिल पा रही हैं, क्योंकि चारों तरफ पानी भरा है. जानवरों के लिए भी चारे का संकट खड़ा हो रहा है. हालांकि प्रशासनिक अमला सक्रिय है. जो लोग बाढ़ के पानी ने फंसे थे उन्हें तटबंध पर आने के लिए कहा जा रहा है. लेकिन सहायता ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हो रही है. तराई इलाके में घाघरा की तबाही रुकने का नाम नहीं ले रही.
फसलें हुई जलमग्न
दूसरी तरफ घाघरा की कटान के चलते रामनगर तहसील के बेलहरी मजरे सरसंडा गांव में अब तक 22 पक्के मकान और छह झोपड़ी सरयू नदी में समा चुके हैं. प्राथमिक विद्यालय भी नदी में डूब गए हैं. दर्जनों गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं और फसलें जल मग्न हो गई है.
घाघरा नदी का पानी लाला पुरवा, सरदहा, ढेखवा, कोठीडीहा, सिरौलीगुंग, बघौली पुरवा, गोबरहा, तेलवारी, सरांय सुरजन, सहित नदी की तलहटी में बसे सभी गांवों में भी पहुंच गया है. जिससे ग्रामीण गांव छोड़ने पर मजबूर हैं. घरों में पानी भरने के कारण भारी संख्या में लोग ऊंचे स्थानों पर शरण ले रह हैं. (रिपोर्टर - सरफराज वारसी)
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