केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब आठ महीने से आंदोलन कर रहे हैं. सोमवार को भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैट ने ऐलान किया कि 5 सितंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी का चारों तरफ से घेराव किया जाएगा. लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए टिकैट ने कहा, 'लखनऊ बन जाएगा दिल्ली'. इस दौरान योगेंद्र यादव, शिवकुमार कक्का और अन्य नेता भी मौजूद थे.
इसके साथ ही उन्होंने जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, वहां आंदोलन को ले जाने के लिए 'मिशन यूपी और उत्तराखंड' का ऐलान भी किया. इन राज्यों में फरवरी-मार्च 2022 में चुनाव होने वाले हैं.
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हालांकि, इससे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर किसान बैठक या 'किसान महापंचायत' बुलाई गई है. किसान नेताओं ने दावा किया कि यह अपनी तरह का अब तक का सबसे बड़ा आयोजन होगा.
योगेंद्र यादव ने कहा, 'हम लोग मिशन यूपी और उत्तराखंड शुरू करने जा रहे हैं. यह आंदोलन को और ज्यादा केंद्रित और गहन बना देगा. इसमें बड़ी रैलियां और महापंचायत शामिल होंगी. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भाजपा और भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध गांव स्तर से शुरू होकर हर जगह तक जाए.'
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने टिकैत के हवाले से लिखा है, 'तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर चल रहा ऐतिहासिक किसान आंदोलन आठ माह पूरे कर चुका है. इन आठ महीनों में किसानों के आत्मसम्मान और एकता का प्रतीक बना यह आंदोलन अब किसान ही नहीं देश के सभी संघर्षशील वर्गों का लोकतंत्र बचाने और देश बचाने का आंदोलन बन चुका है.'
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साथ ही अन्य किसान नेताओं के हवाले से लिखा है, इस मिशन को कार्य रूप देने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में बैठकों, यात्राओं और रैलियों का सिलसिला शुरू किया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने चार चरणों में आंदोलन को विभक्त किया है जिसके तहत पहले चरण में राज्यों में आंदोलन में सक्रिय संगठनों के साथ संपर्क और समन्वय स्थापित किया जाएगा और दूसरे चरण मे मंडलवार किसान कन्वेंशन और जिलेवार तैयारी बैठक होगी. तीसरे चरण में पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में देश भर से किसानों की ऐतिहासिक महापंचायत आयोजित की जाएगी और चौथे चरण में सभी मंडल मुख्यालयों पर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा.
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में 26 नवंबर 2020 से आंदोलन पर बैठे हुए हैं. किसान नेताओं को केंद्र सरकार की कई स्तर पर बातचीत भी हुई, लेकिन मामले का कोई समाधान नहीं निकला.
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26 जनवरी को प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स तोड़कर दिल्ली में घुस गए थे और दिल्ली के कई हिस्सों में पुलिस के साथ झड़प हुई. किसानों ने ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया था. इस दौरान कई प्रदर्शनकारी लाल किले में घुस गए थे और वहां पर अपना झंडा फहराया था.
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