यूपी की गौशालाओं में भूसे का संकट; डॉक्‍टरों, इंजीनियरों और शिक्षकों को भूसा एकत्र करने के काम में लगाया गया

यूपी में भूसे का संकट कितना गंभीर है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि बाजार में गेहूं 2000 रुपए कुंतल है और भूसा 1400 से 1600 रुपए कुंतल.

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प्रतीकात्‍मक फोटो

उत्‍तर प्रदेश की गौशालाओं में पशुओं के चारे का संकट गहरा गया है. इसी के चलते सूबे के सभी जिलाधिकारियों से करीब दो लाख टन भूसा दान में लेने का लक्ष्य रखा गया है. हालत यह है पशुओं के सरकारी डॉक्टर, PWD और बिजली विभाग के इंजीनियर, लेखपाल, SDM और प्राइमरी शिक्षकों तक को भूसा इकट्ठा करने के लिए लगा दिया गया है. दान का भूसा कैसे इकट्ठा हो रहा है और लगातार चढ़ते भूसे रेट से 10 लाख मवेशियों पर कितना गंभीर असर पड़ेगा, इस बारे में NDTV संवाददाता ने जमीनी पड़ताल की. 

दान के भूसे से लदी बैलगाड़ी की अगुवाई करने खुद टुंडला के SDM आए. बकायदा फोटो खिंची, इसके बाद दो पुलिस कर्मियों की सुरक्षा में भूसे की बैलगाड़ी गौशाला में दाखिल हो जाती है. यही नहीं, यूपी में इस वक्त भूसे को लेकर नाना प्रकार के सरकारी फरमान जारी हो रहे हैं..मसलन, पशुधन विभाग ने सभी जिलाधिकारी को पत्र लिखा है, इसके कहा गया है कि सभी जिलाधिकारियों से 2 लाख टन भूसा दान में मिलने की उम्मीद की जाती है.फिरोजाबाद के जिलाधिकारी ने 18 मई को 100 से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को 22 हजार टन भूसा दान में लाने का लक्ष्य दे दिया. जबरन भूसा दान में लेने पर होहल्ला मचा तो 26 मई को आदेश में नरमी दिखाते कहा गया कि बाजार में भूसा दान के लिए नहीं मिल नहीं पा रहा है इसलिए स्‍वेच्‍छा से किसानों से भूसा दान में लिया जाए. इसी तरह संत कबीर नगर में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने पत्र में लिखा कि प्राथमिकता के आधार सभी 1-1 कुंतल भूसा दान करें. लखनऊ के पशु चिकित्सा अधिकारी ने तो फरमान निकाल दिया कि हर पशु चिकित्साधिकारी, प्राथमिकता के आधार पर 20 कुंतल भूसे को गौशाला पहुंचाए. वरना आप खुद जिम्मेदार होंगे.इसके अलावा कई मौखिक आदेश भूसे को लेकर दिए गए हैं.

इस बारे में पशु चिकित्सक संघ के अध्‍यक्ष राकेश सिंह कहते हैं, "हमने गौशाला में पशुओं का इलाज अपने जेब से पैसा लगाकर किया. अब भूसा दान देने को कह रहे हैं. दीन के भूसे से कब तक गाय पलेंगी." भूसे की कमी पर फिरोजाबाद बीजेपी महानगर अध्‍यक्ष रोहित चौधारी ने कहा, "मेरी बेटी का जन्मदिन था तो मैंने 75 कुंतल भूसा दान दिया. जिलाधिकारी भी अपील कर चुके हैं कि भूसा दान करें तो गौ माता की सेवा कर रहे हैं.लेकिन सरकारी कर्मचारियों से भूसा दान में क्यों लिया जा रहा है, ये जानने के हम पहले फिरोजाबाद के श्रीनगर गौशाला पहुंचे.यहां PWD इंजीनियर्स के दान का भूसा पहुंचा है.इस सरकारी गौशाला में 60 से ज्यादा गाय हैं. हर गाय पर सरकार 30 रुपए रोज देती है लेकिन दान का भूसा अगर न मिले तो क्या इन गाय का पेट भरेगा? फिरोजाबाद गौशाला के प्रबंधक गोविंद इस पर कहते हैं, "अब सरकार 30 रुपए रोज देती है. एक गाय 10 किलो भूसा खा जाती है 15 रुपए किलो भूसा है. कहां से चलेगा. अभी तो दान का भूसा आ जाता है वरना बहुत दिक्कत होती.''

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यूपी में भूसे का संकट कितना गंभीर है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि बाजार में गेहूं 2000 रुपए कुंतल है और भूसा 1400 से 1600 रुपए कुंतल. आजादी के बाद पहली बार भूसे की महंगाई ने किसानों के 'पशुपालन का अर्थशास्त्र' बिगाड़कर रख दिया है.फिरोजाबाद के भड़ौला गांव में जब एक किसान से पूछा कि आप भूसा क्यों दान नही दे रहे हैं तो उसका जवाब था-साहब, जब अपने पशु के लिए नहीं है तो दान कहां से देंगे. एक अन्‍य किसान ने  बताया कि छुट्टा पशुओं के चलते इस बार  लोगों ने गेहूं कम बोया. चारे वाली फसल किसान कर ही नहीं पा रहा है. इसके वजह से भी भूसे का संकट है. ऐसी स्थिति में आसानी से समझा जा सकता है कि चारे की महंगाई से छुट्टा मवेशियों की तादात बढ़ने और सरकार के लिए गौशालाओं में 8 लाख से ज्यादा मवेशियों के लिए 10 लाख टन से ज्यादा भूसे का इंतजाम करना कितनी बड़ी बड़ी चुनौती है.

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