अखिलेश को जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट मामले में राहत, हाईकोर्ट ने बंगला खाली कराने पर रोक लगाई, सरकार को फटकारा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें लखनऊ में जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट का कार्यालय खाली करने का निर्देश दिया गया था. अदालत ने इस संबंध में यूपी सरकार से जवाब भी मांगा है.

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  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट का कार्यालय खाली करने के यूपी सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है.
  • ट्रस्ट को बंगले का आवंटन 5 से बढ़ाकर 10 साल किया गया था, जिसे योगी सरकार ने फिर से 5 साल कर दिया.
  • हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि जब आवंटन 2022 में खत्म हो गया तो किराया क्यों लेते रहे?
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लखनऊ:

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट कार्यालय के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें ट्रस्ट का कार्यालय खाली करने का निर्देश दिया गया था. अदालत ने इस संबंध में यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए जवाब भी मांगा है. कोर्ट ने पूछा कि अगर आवंटन पहले ही रद्द हो चुका है तो अब तक किराया क्यों ले रहे हैं?

अखिलेश यादव हैं ट्रस्ट के अध्यक्ष

मामला लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग स्थित जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट के ऑफिस से जुड़ा है. इस ट्रस्ट के अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं. ट्रस्ट का ऑफिस समाजवादी पार्टी कार्यालय के ठीक बराबर में है. लखनऊ में रहने पर अखिलेश आमतौर पर यहीं बैठकें करते रहते हैं. यूपी सरकार ने इस ट्रस्ट का ऑफिस खाली करने का आदेश दिया था.

अखिलेश ने खुद बनाया था ट्रस्ट

बात उन दिनों की है, जब अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे. उस दौरान उनके परिवार में घमासान मचा था. अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच आरपार की लड़ाई हो रही थी. अखिलेश और उनके साथियों के पार्टी ऑफिस आने पर रोक थी. तब अखिलेश ने जनेश्वर मिश्र के नाम पर ट्रस्ट बनाकर एक सरकारी मकान आवंटित करा लिया. 

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पहले 5 साल, फिर 10 साल के लिए मिला बंगला

जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट को विक्रमादित्य मार्ग का  बंगला नंबर 7 मिला. इसे 30 जनवरी 2017 को 72 हजार रुपए महीना किराए पर आवंटित किया गया था. शुरुआत में यह आवंटन 5 साल के लिए था. बाद में संपत्ति विभाग ने इसे बढ़ाकर 10 साल कर दिया. 

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योगी सरकार में बदल गया नियम

बाद में, योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री बने. तब साल 2021 में इस ट्रस्ट के कार्यालय आवंटन को लेकर नियम बदल दिया गया. नियम में बदलाव करके आवंटन की समयसीमा 5 साल से अधिक न करने का फैसला हुआ. इस हिसाब से ट्रस्ट के ऑफिस का आवंटन 2 जनवरी 2022 को खत्म हो गया. 

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कोर्ट ने पूछा, आवंटन खत्म तो किराया क्यों ले रहे?

ट्रस्ट की तरफ से दावा किया गया कि यूपी सरकार का ये नियम गलत है. सरकार की मंशा ट्रस्ट से उसका ऑफिस लेने की है. हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि जब आवंटन 2022 में खत्म हो गया तो किराया क्यों लेते रहे? अब अदालत ने सरकार से इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. 

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बता दें कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. उनके करीबी नेता राजेन्द्र चौधरी इसके सचिव हैं. अखिलेश के चचेरे भाई और सांसद धर्मेन्द्र यादव भी इस ट्रस्ट के मेंबर हैं.

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