सपा नेता आजम खान को बड़ा झटका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सजा पर रोक और जमानत देने से किया इनकार

रामपुर के गंज थाना क्षेत्र में डूंगरपुर बस्ती को खाली करवाने को लेकर साल 2019 में 12 मुकदमे दर्ज हुए थे. इसी में से एक में रामपुर कोर्ट ने मार्च में आज़म खान समेत सभी को दोषी करार देते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई थी.

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इलाहाबाद (यूपी):

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. रामपुर के चर्चित डूंगरपुर बस्ती कांड में आजम खान की क्रिमिनल अपील पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उनकी सजा पर रोक लगाने और जमानत देने से इनकार कर दिया है. आजम खान के साथ तीन अन्य दोषियों को भी हाईकोर्ट से मायूसी हाथ लगी है. सुनवाई पूरी होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 6 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

दरअसल रामपुर के चर्चित डूंगरपुर बस्ती कांड में दर्ज एक मामले में रामपुर कोर्ट से मिली सात साल की सजा के खिलाफ सपा नेता आज़म खान ने क्रिमिनल अपील दाखिल की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए उनकी सजा पर रोक लगाने के अलावा जमानत देने से भी इनकार कर दिया. यही नहीं हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषी ठेकेदार बरकत अली, पूर्व सीओ आले हसन और अज़हर खान को भी जमानत देने से इनकार कर दिया. जस्टिस राजीव मिश्रा की सिंगल बेंच ने ये फैसला सुनाया है.

मार्च में रामपुर कोर्ट ने चर्चित डूंगरपुर मामले में सपा नेता आज़म खान को सात साल की सजा सुनाई थी. इसके अलावा पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. कोर्ट ने आजम खान समेत चारों को घर में घुसकर मारपीट, तोड़फोड़, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी के मामले में दोषी करार देते हुए सात साल की सजा सुनाई थी.

तीन फरवरी 2016 को जेल रोड निवासी एहतेशाम खान के घर में कुछ लोगों ने जबरन घुसकर मारपीट की और उसका घर भी बुलडोज़र से गिरवा दिया गया था. करीब तीन साल बाद 25 जुलाई 2019 को एहतेशाम खान ने रामपुर के गंज थाने में पूर्व सीओ सिटी आले हसन खान, पूर्व चेयरमैन अज़हर खान, ठेकेदार बरकत अली और 20 से 25 अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ संगीन धाराओं में एक केस दर्ज कराया था, जिसमें इन सब पर घर में घुसकर मारपीट, गाली-गलौज, डकैती और आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया गया.

इस मामले में बाद में पुलिस जांच में आज़म खान का नाम भी आरोपी के तौर पर शामिल कर लिया गया था. रामपुर के गंज थाना क्षेत्र में डूंगरपुर बस्ती को खाली करवाने को लेकर साल 2019 में 12 मुकदमे दर्ज हुए थे, जिसमें से एक मामला जेल रोड निवासी एहतेशाम की तरफ से भी दर्ज करवाया गया था. इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद रामपुर कोर्ट ने मार्च में आज़म खान समेत सभी को दोषी करार देते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई थी.

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