इलाहाबाद HC ने आनंद गिरि की जमानत याचिका की खारिज, कहा - आरोपी के खिलाफ काफी सबूत

याचिकाकर्ता ने यह दलील भी दी थी कि घटना के समय वह प्रयागराज से बहुत दूर हरिद्वार में था और पुलिस अधिकारियों ने इस घटना की जानकारी उसे फोन पर दी थी.

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एक स्थानीय अदालत ने 11 नवंबर, 2021 को आनंद गिरि की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. 
प्रयागराज:

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की कथित आत्महत्या के मामले में आरोपी आनंद गिरि की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी. अदालत ने बुधवार को जमानत याचिका पर निर्णय सुरक्षित रख लिया था. न्यायमूर्ति एस के सिंह ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, याचिकाकर्ता के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं और इसलिए उसकी जमानत की अर्जी मंजूर नहीं की जा सकती.

याचिकाकर्ता ने अपनी जमानत की अर्जी में कहा था कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है और जिस कथित सुसाइड नोट में उसके नाम का उल्लेख है, उसकी लिखावट नरेंद्र गिरि की नहीं थी और उस नोट में कई काट छांट और ओवरराइटिंग थी. 

याचिकाकर्ता ने यह दलील भी दी थी कि घटना के समय वह प्रयागराज से बहुत दूर हरिद्वार में था और पुलिस अधिकारियों ने इस घटना की जानकारी उसे फोन पर दी थी. उल्लेखनीय है कि यहां की एक स्थानीय अदालत ने 11 नवंबर, 2021 को आनंद गिरि की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. 

महंत नरेंद्र गिरि का शव 20 सितंबर, 2021 को प्रयागराज में उनके मठ बाघंबरी गद्दी में पंखे से लटका हुआ पाया गया था. पुलिस को शव के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला था जिसमें आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था. सीबीआई ने 20 नवंबर, 2021 को एक स्थानीय अदालत में आनंद गिरि और दो अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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