जब बेटी के बेहतर भविष्य के लिए निवेश करने की बात आती है, तो कई सारे विकल्प सामने नजर आते हैं. लेकिन समझ नहीं आता कि सुकन्या समृद्धि योजना (SSY), नेशनल पेंशन सिस्टम वात्सल्य (NPS Vatsalya) या म्यूचुअल फंड कौन सा विकल्प निवेश के लिहाज से ज्यादा सही है. इन में से हर निवेश के अपने फायदे हैं. जहां SSY एक सरकारी योजना है जो टैक्स बेनिफिट के साथ गांरटेड रिटर्न ऑफर करती है, वहीं NPS वात्सल्य (National Pension System Vatsalya) लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए इक्विटी और डेट का एक्सपोजर ऑफर करती है.
म्यूचुअल फंड (Mutual funds) की बात करें तो ये फ्लैक्सिबिलिटी और प्रोफेशनल मैनेजमेंट प्रोवाइड करते हैं लेकिन इनके साथ मार्केट रिस्क भी जुड़ा है. ऐसे में आपके लिए निवेश का सबसे अच्छा विकल्प आपके फाइनेंशियल गोल, रिस्क लेने की क्षमता और आपकी बेटी की उम्र पर निर्भर करता है.
सुकन्या समृद्धि योजना, NPS वात्सल्य या म्यूचुअल फंड, कौन सा है बेस्ट?
निवेश के इन विकल्पों को देखते हुए कि सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) गारंटीड रिटर्न के साथ सबसे सुरक्षित विकल्प नजर आता है. इस योजना में EEE टैक्स रिजीम (exempt-exempt-exempt) का एडवांटेज भी मिलता है. मैच्योरिटी पर मिलने वाली इनकम पूरी तरह से टैक्स-फ्री होती है. इस योजना का मैच्योरिटी पीरियड 21 साल का होता है. इसके बाद आपको इस इनकम को दूसरे इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट में दोबारा निवेश करने की जरूरत होगी जिन पर जरूरी नहीं कि आपको टैक्स बेनिफिट मिले. इसके अलावा, NPS वात्सल्य या म्यूचुअल फंड जैसे अन्य विकल्पों जिसमें कुछ लेवल का रिस्क शामिल है की तुलना में इसका रिटर्न कम होता है.
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)
इस स्कीम का मकसद माता-पिता को बेटी की भविष्य की शिक्षा और शादी के खर्चों के लिए बचत करने के लिए प्रोत्साहित करके उनकी वित्तीय सुरक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना.इसके तहत माता-पिता या अभिभावक 10 साल या उससे कम उम्र की लड़की के लिए अकाउंट खोल सकते हैं. इसमें न्यूनतम जमा राशि 250 रुपये प्रति वर्ष है, और अधिकतम 1.5 लाख रुपये प्रति वर्ष है. सुकन्या समृद्धि योजना की मौजूदा ब्याज दर 8.2% प्रति वर्ष है.इस अकाउंट खोलने की तारीख से 21 साल बाद यह स्कीम मैच्योर होती है, लेकिन डिपॉजिट केवल पहले 15 सालों के लिए करना होता है.
NPS वात्सल्य और म्यूचुअल फंड दोनों में इन्वेस्टमेंट रिस्क (investment risk) होता है, लेकिन रिस्क के लेवल को निवेशक की पसंद के एसेट एलोकेशन के माध्यम से मैनेज किया जा सकता है, यानी कम किया जा सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट करनी होती है तो, निवेशक ज्यादा रिटर्न पाने के लिए इक्विटी जैसे रिस्क वाले एसेट में निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं. वहीं, NPS में हाइब्रिड अप्रोच अनिवार्य है, जिससे एग्रेसिव म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो की तुलना में कम रिटर्न मिल सकता है, लेकिन इसलिए इसमें रिस्क भी कम हो जाता है.
NPS वात्सल्य (NPS Vatsalya)
इस स्कीम का मकसद माता-पिता या अभिभावकों को अपने बच्चों के रिटायरमेंट के लिए बचत करने में सक्षम बनाकर बच्चों की वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देना है. माता-पिता या अभिभावक अपने नाबालिग बच्चों (18 साल से कम) के लिए अकाउंट खोल सकते हैं. इसमें भारतीय नागरिक, NRI (Non-Resident Indian) और OCI (Overseas Citizen of India) शामिल हैं.इसमें न्यूनतम जमा राशि 1,000 रुपये है. जमा की जाने वाली राशि की कोई ऊपरी सीमा (upper limit) नहीं है.
एक बार जब बच्चा 18 साल का हो जाता है, तो NPS वात्सल्य अकाउंट ऑटोमेटिकली रेगुलर एनपीएस टियर I अकाउंट (regular NPS Tier I account) में बदल जाता है, जिसे बच्चा स्वतंत्र रूप (independently) से मैनेज कर सकता है. NPS वात्सल्य योजना के लिए डिफॉल्ट एसेट एलोकेशन मॉडरेट लाइफ साइकिल फंड (LC-50) है, जो इक्विटी में 50% निवेश करता है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि, “कई परिवारों के लिए, बच्चों की शिक्षा, शादी और खुद की रिटायरमेंट की योजना, बच्चों के लिए पेंशन जुटाने से पहले जरूरी होती है. नतीजतन, NPS वात्सल्य योजना में निवेश करना ऐसे लोगों के लिए एक सही विकल्प नहीं हो सकता. इन लोगों के लिए म्यूचुअल फंड द्वारा पेश की जाने वाली बच्चों की योजनाओं में निवेश करना ज्यादा समझदारी होगी, जो बेहतर फ्लेक्सिबिलिटी प्रोवाइड करती हैं.
NPS वात्सल्य के विपरीत, म्यूचुअल फंड फुल लिक्विडिटी और फ्लेक्सिबिलिटी ऑफर करते हैं. NPS वात्सल्य में बच्चे की 18 वर्ष की आयु के बाद, कॉर्पस का केवल 20% एकमुश्त राशि के रूप में निकाला जा सकता है, शेष राशि एन्युटी प्लान (annuity plan) में ट्रांसफर की जाती है. 60 साल की आयु तक पहुंचने पर, NPS कॉर्पस का 60% टैक्स-फ्री एकमुश्त रकम के रूप में मिलता है. जबकि शेष 40% राशि एन्युटी प्लान (Annuity plan) में निवेश की जाती है. इसलिए NPS वात्सल्य उन लोगों के लिए आकर्षक निवेश योजना हो सकती है जो अपने बच्चे के भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करना चाहते हैं."
म्यूचुअल फंड के चिल्ड्रन फंड (MF- Children's fund)
इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करके लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न पा सकते हैं..आमतौर पर, इन फंडों में इक्विटी में लगभग 60-70% और बाकी डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश के जरिए एक बैलेंस्ड अप्रोच अपनाई जाती है. इस एलोकेशन का मकसद रिस्क मैनेजमेंट के साथ बैलेंस ग्रोथ प्रोवाइड करना है.बच्चों के कई फंड लॉक-इन पीरियड के साथ आते हैं जब तक कि बच्चा एक निश्चित आयु तक नहीं पहुंच जाता. इन सभी फैक्टर को देखते हुए एक्सपर्ट्स का मानना है कि निवेशकों को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए बैलेंस्ड अप्रोच अपनानी चाहिए.
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