केंद्र सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में आयकर नियमों में कुछ संशोधन किया था और एक निश्चित तय सीमा के बाद भविष्य निधि (पीएफ) के ब्याज को इनकम टैक्स के दायरे में लाया गया था. फाइनेंस एक्ट, 2021 में किए गए संशोधन के बाद से अब प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) बैलेंस पर अर्जित ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा. यह बदलाव 1 अप्रैल 2022 से प्रभावी हो गया है. संशोधन से पहले, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 के तहत पीएफ बैलेंस पर अर्जित ब्याज में टैक्स से पूरी छूट मिली हुई थी. अभी तक बिना जुर्माने के आईटीआर फाइल करने की आखिरी तिथि 31 जुलाई है औऱ उसके बाद इनकम टैक्स रिटर्न भरने पर जुर्माना देय होगा.
छूट की सीमा को को लेकर दो शर्तें
1. सरकारी कर्मचारियों के लिए 5 लाख रुपये (जहां नियोक्ता ईपीएफ में योगदान नहीं करता है) और अन्य कर्मचारियों के मामले में 2.5 लाख रुपये (जहां नियोक्ता भी ईपीएफ में योगदान देता है).
टैक्स के नए नियम
क्लियर टैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि नए नियमों के अनुसार, किसी कर्मचारी के पीएफ खाते में सालाना 2.5 लाख रुपये के योगदान पर अर्जित ब्याज टैक्स फ्री होगा. हालांकि, 2.5 लाख रुपये से अधिक के योगदान पर अर्जित ब्याज पर कर्मचारी को टैक्स देना होगा. अगर कोई नियोक्ता कर्मचारी के पीएफ खाते में योगदान नहीं करता है, तो इस मामले में लागू सीमा कर्मचारी के योगदान की 5 लाख रुपये होगी. गणना के लिहाज से, पीएफ ऑफिस या कर्मचारी का पीएफ ट्रस्ट मुख्य तौर पर पीएफ खाते के तहत दो खातों का रखरखाव करेगा:
1. सीमा के भीतर योगदान (गैर कर योग्य योगदान अकाउंट), और
2. सीमा से अधिक योगदान के लिए (कर योग्य योगदान अकाउंट)
खातों को आगे भी बनाए रखना होगा
ऐसे खातों को वित्त वर्ष 2021-22 और बाद के वर्षों के लिए बनाए रखना होगा. अतिरिक्त अंशदान पर ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा न कि अंशदान के तहत. 31 मार्च, 2021 तक ईपीएफ खाते की बैलेंस राशि गैर कर योग्य अकाउंट का हिस्सा होगा. गैर-कर योग्य खाते पर ब्याज पहले की तरह कर मुक्त रहेगा. कर योग्य खाते पर मिलने वाले ब्याज पर हर साल टैक्स का भुगतान करना होगा. टैक्स योग्य खाते में पिछले वर्षों के इकट्ठा धन को आगे के वर्षों के लिए बढ़ा दिया जाएगा और उस पर अर्जित ब्याज के साथ-साथ वर्ष के दौरान किए गए योगदान पर अर्जित ब्याज पर टैक्स लगेगा.
टैक्स योग्य पीएफ ब्याज (PF Interest) पर टीडीएस कटौती
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194ए के तहत ऐसे ब्याज पर टीडीएस (स्रोत पर कर) की कटौती की जाएगी. इस धारा के अनुसार, आय का भुगतानकर्ता टीडीएस काटने के लिए उत्तरदायी है. इसलिए प्रॉविडेंट फंड ऑफिस या ईपीएफ ट्रस्ट टीडीएस काटेगा.
कितना होगा TDS
निवासी भारतीयों के मामले में, लागू टीडीएस (TDS) दर 10% है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पीएफ खाता एक वैध पैन (PAN) से जुड़ा हो. ऐसा नहीं होने की स्थिति में यह 20% होगा. हालांकि, टीडीएस तभी काटा जाएगा जब ब्याज 5,000 रुपये से अधिक होगा.
NRI के मामले में क्या होंगे नियम
अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के मामले में, आयकर अधिनियम की धारा 195 के अनुसार 30% टीडीएस काटा जाएगा. हालांकि, अगर डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए) के तहत उल्लिखित दरें फायदेमंद हैं, तो ऐसी दरें लागू होंगी. पीएफ खाते को पैन से लिंक करना अनिवार्य है. अन्यथा, लागू टीडीएस दर 30% होगा. 4% सेस और लागू दरों पर सरचार्ज गैर-निवासियों को भुगतान पर टीडीएस के साथ कटौती योग्य है. हालांकि, अगर डीटीएए प्रावधानों के अनुसार टीडीएस की कटौती की जाती है, तो ये शुल्क लागू नहीं होते हैं.
पीएफ ब्याज पर देय टैक्स
साल के दौरान कर योग्य पीएफ खाते में जमा किए गए ब्याज पर टैक्स देना होता है. इस तरह के ब्याज को 'अन्य स्रोतों से आय' के तहत शामिल किया जाना चाहिए. टैक्स की गणना लागू टैक्स स्लैब दरों के अनुसार की जानी है. एक व्यक्ति ब्याज आय से काटे गए टीडीएस के लिए टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकता है.