लोकसभा चुनाव 2024 के बाद नरेंद्र मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हो चुका है, और जुलाई के दूसरे पखवाड़े में पूर्ण बजट 2024-25 पेश किए जाने की संभावना बताई जा रही है. लेकिन एक तारीख अभी से निश्चित है - वित्तवर्ष 2023-24 (FY2023-24), यानी आकलन वर्ष 2024-25 (AY2024-25) के लिए इन्कम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) या ITR फ़ाइल करने की अंतिम तिथि, यानी 31 जुलाई, 2024.
ITR फ़ाइल करना हमेशा से ज़रूरी रहा है, लेकिन देश की कुल आबादी का बहुत छोटा हिस्सा ही ऐसा करता रहा था, लेकिन अब पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन रिटर्न फ़ाइल करने वालों की तादाद में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है. इन लोगों में अपने आप आयकर रिटर्न फ़ाइल करने वालों की संख्या भी खासी है, लेकिन फिर भी बहुत-से लोगों को अब भी किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या ITR फ़ाइल करने वाले किसी पेशेवर की मदद लेनी पड़ती है, क्योंकि उन्हें खुद बहुत-सी बातों और नियमों की जानकारी ही नहीं होती.
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ऐसे ही लोगों की मदद करने के लिए हम लगातार ऐसी ख़बरें ला रहे हैं, जिनसे अपने आप ITR फ़ाइल करने के इच्छुक किसी बाहरी शख्स से मदद लिए बिना ऐसा कर सकें. ITR फ़ाइल करने में एक समस्या कुछ खास शब्दों के अर्थ और उनके बीच अंतर को समझना होता है, जिनमें कर-माफ़ी या करमुक्ति (Tax Exemption), कटौती (Tax Deductions) और छूट (Tax Rebate) अहम हैं. इनके अर्थ और अंतर को समझे बिना ITR फ़ाइल करना सचमुच बेहद दुरूह कार्य होता है, तो आइए, आज आपको समझाते हैं इन तीनों शब्दों का अर्थ और उनके बीच का अंतर.
करमुक्ति या कर-माफ़ी (Tax Exemption)
कर-माफ़ी किसी भी शख्स की करयोग्य आय (Taxable Income) के उस हिस्से पर लागू होती है, जिस पर नियमानुसार कोई टैक्स नहीं वसूला जाता है. इस वक्त, यानी वित्तवर्ष 2023-24 की ITR फ़ाइल करते वक्त, पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) अपनाने वाले 60 वर्ष से कम आयु के करदाताओं के लिए यह करमुक्त आयसीमा ₹2.5 लाख है, जबकि 60 से 80 वर्ष की आयु के Senior Citizen करदाताओं के लिए यह करमुक्त आयसीमा ₹3 लाख है, और 80 वर्ष से अधिक आयु के Super-Senior Citizen करदाताओं के लिए यही सीमा ₹5 लाख है. नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत हर आयुवर्ग के ITR फ़ाइल करने वालों के लिए यह सीमा ₹3 लाख है. इसका अर्थ यह हुआ कि अपने आयुवर्ग और अपनी टैक्स व्यवस्था के तहत हर शख्स को आय के सिर्फ़ उसी हिस्से पर इन्कम टैक्स (Income Tax) चुकाना होगा, जो इस सीमा से अधिक होगा.
उदाहरण के लिए, पुरानी टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत ITR फ़ाइल कर रहे 75 वर्ष के किसी शख्स की करयोग्य आय ₹4.75 लाख होने की स्थिति में उन्हें सिर्फ़ ₹1.75 लाख (₹4.75 लाख - ₹3 लाख) पर ही टैक्स चुकाना होगा (हालांकि इन्कम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत मिलने वाली कर छूट, यानी Tax Rebate की बदौलत उन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जिसके बारे में आप इसी ख़बर में आगे पढ़ेंगे). इसी तरह, नई टैक्स व्यवस्था के तहत ITR फ़ाइल कर रहे 45 वर्ष के किसी शख्स की करयोग्य आय ₹8.25 लाख होने की स्थिति में उन्हें सिर्फ़ ₹5.25 लाख (₹8.25 लाख - ₹3 लाख) पर ही टैक्स चुकाना होगा.
कर कटौती (Tax Deductions)
कर कटौती, या Tax Deductions कुछ खास निवेशों या खर्चों पर दी जाती है, और निवेशित रकम को करयोग्य आय में से घटा दिया जाता है. अब Tax Deductions आमतौर पर सिर्फ़ उन करदाताओं को मिलती हैं, जो पुरानी टैक्स व्यवस्था अपनाते हैं. इन Tax Deductions में इन्कम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत मिलने वाली अधिकतम ₹1.5 लाख की कटौती शामिल है, और उसके अलावा Tax Deductions में धारा 80डी के तहत मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम को एक सीमा तक करयोग्य आय में से घटाया जाता है. इसी तरह, एक और Tax Deduction के तौर पर धारा 80ई के तहत एजुकेशन लोन पर चुकाए गए ब्याज को भी करयोग्य आय में से घटाया जाता है.
Tax Exemption और Tax Deductions में मूलतः यही अंतर है कि Tax Exemption हर शख्स को करयोग्य आय के एक हिस्से पर मिलता ही है, लेकिन Tax Deductions उसी करदाता को हासिल होते हैं, जिन्होंने निर्धारित मदों में निवेश या खर्च किया हो.
कर छूट (Tax Rebate)
Tax Rebate में Tax Exemption और Tax Deductions की तुलना में सबसे बड़ा फर्क यही है कि इसे देय आयकर में से घटाया जाता है, यानी करदाता की कर देनदारी (Payable Tax) में छूट दी जाती है. उदाहरण के लिए, करदाता की कर देनदारी तय हो जाने के बाद इन्कम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 87ए के तहत पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) में ₹5 लाख तथा नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) में ₹7 लाख से कम करयोग्य आय होने पर इन्कम टैक्स से पूरी छूट दे दी जाती है. हालांकि अगर करयोग्य आय इन दोनों सीमाओं से अधिक है, तो समूची करयोग्य आय पर निर्धरित स्लैबों और दरों के हिसाब से इन्कम टैक्स चुकाना पड़ता है.