Blogs | रवीश कुमार |सोमवार सितम्बर 26, 2016 11:11 AM IST हमला सिर्फ उड़ी के बेस कैंप पर नहीं हुआ है बल्कि सोशल मीडिया पर बने भक्तों के कैंप पर भी हो गया है. विरोधी को भी छर्रे लग गए हैं. दोनों चीख़ रहे हैं. युद्ध की ललकार और न होने पर फटकार की भरमार हो गई है. प्रधानमंत्री क्या करें, क्या न करें की बाढ़ आई हुई है. इसी सैलाब से भयाक्रांत होकर मैंने तय कर लिया है कि प्रधानमंत्री कभी नहीं बनूंगा.