World | Reported by: भाषा |सोमवार जुलाई 20, 2020 12:45 AM IST भारतीय मूल के डॉक्टरों के एक समूह ने चेतावनी दी है कि चिकित्सा अनुसंधान और पद्धति में निहित नस्लीय भेदभाव के चलते ब्रिटेन और दुनियाभर में नस्लीय अल्पसंख्यकों के बीच कोविड-19 का असंगत गंभीर प्रभाव हो सकता है और उन्होंने उनके बीच जीवनशैली से संबंधित जोखिमों का व्यापक अध्ययन किए जाने की मांग की. मेटाबोलिक सिंड्रोम (मेट्स) को कुछ नस्लीय समूहों के बीच इस घातक वायरस की भयावहता के लिए जिम्मेदार समझा जा रहा है. ऐसे में ब्रिटेन में कार्यरत हृदय चिकित्सक असीम मल्होत्रा और ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजन के अध्यक्ष जे एस बामराह और अमेरिका में कार्यरत संक्रामक और मोटापा संबंधी रोग चिकित्सक रवि कामेपल्ली का कहना है कि मेट्स के आनुवांशिक कारकों पर गौर नहीं किया जा रहा है.