Blogs | Dr Vijay Agrawal |सोमवार फ़रवरी 15, 2016 03:34 PM IST जो किसी भी तरह की सामाजिक भूमिका में आ जाते हैं, उन्हें अपनी निजता का त्याग करना ही पड़ता है। यह भी तो ज़िन्दगी जीने का एक ऐसा अंदाज़ हो सकता है कि सिर उठाकर कहा जा सके 'ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा...'